सरायकेला: वर्तमान युग औद्योगिक विकास का युग है. संसार के सभी विकासशील देशों में हजारों लाखों फैक्ट्रियां दिन रात चलती हैं. इन सब के प्रभाव से आसपास का वातावरण दूषित हो जाता है. वहीं, भूमि और पानी भी लगातार प्रदूषित हो रहे हैं, जो आज पूरे विश्व की एक बड़ी समस्या बनी है. वायु प्रदूषण मुख्य रूप से कल कारखानों से निकलने वाले धुएं से होता है. साथ ही सड़कों पर चलने वाली गाड़ियां और इन गाड़ियों में चलने वाले इंजन से वायु प्रदूषित होती है. इनसे विषैली गैस निकलती रहती है, जो सांस से शरीर में प्रवेश करती है. इससे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
कोल्हान प्रमंडल की औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित सरायकेला का आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र अपने हजारों कल कारखानों के लिए विश्वविख्यात है, लेकिन कई दशक बीतने के बाद भी औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर मुकम्मल व्यवस्था नहीं की जा सकी. हालांकि अब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण परिषद के निर्देश पर जिले में प्रदूषण स्तर की मॉनिटरिंग के उद्देश्य से प्रमुख स्थानों पर हवा में प्रदूषण की मात्रा जांचने के लिए ऑटोमेटिक एयर क्वॉलिटी स्टेशन स्थापित किए जाने का निर्णय लिया गया है. सरायकेला खरसावां में प्रदूषण नियंत्रण परिषद की ओर से 4 एयर क्वॉलिटी स्टेशन स्थापित किए जाएंगे, जिससे आम लोगों को 24 घंटे पर्यावरण में प्रदूषण स्तर की जानकारी डिजिटल स्क्रीन के जरिए मिलेगी. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण परिषद की इस योजना के तहत कोल्हान प्रमंडल में 12 और झारखंड में कुल 112 एयर क्वॉलिटी स्टेशन स्थापित किए जाने हैं. इसके आंकड़ों के आधार पर प्रदूषण से निपटने के कदम उठाए जाएंगे.
दावा-शहर के प्रमुख स्थानों पर लगे हैं वायु प्रदूषण मापक यंत्र
झारखंड प्रदूषण नियंत्रण परिषद का दावा है कि प्रदूषण नियंत्रण के साथ ही मॉनिटरिंग की समुचित व्यवस्था विभाग के ओर से की गई है. कोल्हान प्रमंडल क्षेत्र के प्रमुख स्थानों पर वायुमंडल में फैले धूल-कण और प्रदूषण की मात्रा मापने को लेकर शहर की कई जगहों पर वायु मापक यंत्र लगाए गए हैं, जिसे समय-समय पर प्रदूषण स्तर को मापने के बाद रिकॉर्ड भी मेंटेन किया जाता है.
घातक है वायुमंडल में pm10 की मात्रा का बढ़ना
अनुमानित आंकड़े के मुताबिक सरायकेला के आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में तकरीबन 1300 कारखाने वर्तमान में संचालित हैं. हालांकि इनमें से ज्यादातर छोटे और मझोले दर्जे के उद्योग कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण बंद पड़े हैं. प्रदूषण नियंत्रण परिषद की ओर से जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि लॉकडाउन के दरमियान कारखाने बंद रहने और सड़कों पर वाहनों के आवागमन कम होने के कारण वायुमंडल में प्रदूषण स्तर की मात्रा कम आंकी गई थी. हालांकि जैसे ही लॉकडाउन खत्म हुआ और अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई. तो अब धीरे-धीरे प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही है. इन सबके बीच वायुमंडल में लगातार pm10 की मात्रा बढ़ रही है, जो निश्चित तौर पर प्रकृति के लिए एक घातक है. हालांकि कोरोना काल के कई समय पूर्व जब औद्योगिक उत्पादन चरम पर था, तब हवा में खुले खतरनाक सूक्ष्म कण pm 2.5 और pm10 की मात्रा लगातार बढ़ रही थी. झारखंड में भी प्रदूषण नियंत्रण परिषद पूर्व में ही पर्यावरण में फैले प्रदूषण की मात्रा कम करने को लेकर लगातार प्रयास किए जाने संबंधी दावे करता आया है. पिछले साल देश की राजधानी दिल्ली में वायुमंडल में फैली प्रदूषण के बाद देशभर में प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने सजगता दिखाई थी और प्रदूषण कम किए जाने संबंधित उपाय किए थे. हालांकि यह उपाय फिलहाल पूरी तरह कारगर साबित नहीं हो रहे हैं.
प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्थाएं जल्द लागू हो