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शिफ्टिंग की पेंच में फंसा साहिबगंज महिला कॉलेज, 5 साल बाद भी शुरू नहीं हो सकी पढ़ाई - साहिबगंज महिला कॉलेज शिफ्टिंग की पेंच में फंसा

राज्य सरकार और सिदो-कान्हो विवि दुमका के बीच शिफ्टिंग की पेंच में फंसा साहिबगंज जिला का महिला कॉलेज 5 साल बाद भी शुरू नहीं हो पाया है. इस वजह से जिला में लड़कियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. आलम ये है कि 5 साल पहने तैयार हुआ भवन अब सुनसान खंडहर से कम नहीं लगता है.

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पेंच में फंसा साहिबगंज महिला कॉलेज

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Published : Sep 15, 2020, 6:03 AM IST

साहिबगंजःसाहिबगंज जिला में चार महाविद्यालय है, जिसमें हर विषय में सीट सुरक्षा रहने से लड़कियों का एडमिशन नहीं हो पाता था. आधी से अधिक लडकियों का किसी ना किसी वजह से एडमिशन नहीं होता था. जिससे वो पढ़ाई छोड़कर घर बैठ जाती थीं. साहिबगंज कॉलेज में बर्ष 2015 में महिला कॉलेज की शुरूआत हुई. 2017 में यह महिला महाविद्यालय बनकर तैयार हो गया. 2018 में जिला प्रशासन ने इस कॉलेज को साहिबगंज महाविद्यालय को सुपुर्द कर दिया ताकि लड़कियों का एडमिशन अधिक से अधिक हो और सिर्फ लड़कियां ही इसमें एडमिशन लेकर सुरक्षित पढ़ाई कर सकेंगी. लेकिन 5 वर्ष बीत गया अभी तक यह महिला महाविद्यालय शुरू नहीं हो सका है.

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भूत बंगला बन गया है कॉलेज भवन

यह कॉलेज हमेशा बंद रहता है इस घने जंगल मे सांप-बिच्छू निकलता है, घुसने में डर लगता है, जहरीला सांप भी कई बार देखा गया है. कोई ध्यान नहीं देता है. गार्ड ने बताया कि 5 सालों से इस पद पर हूं, बिना वेतन का काम कर रहा हूं, जंगल कटाई का पैसा नहीं है.

राज्य सरकार ध्यान दे

सिंडिकेट सदस्य डॉ. रंजीत सिंह बताते हैं कि कई बार इसकी आवाज सिदो-कान्हो मुर्मू यूनिवर्सिटी के चेयरपर्सन को अवगत कराया गया है. आज तक महिला कॉलेज बंद है इसका दुख है लेकिन साहिबगंज महाविद्यालय और यूनिवर्सिटी का भी दोष नहीं है. राज्य सरकार इसका दोषी है. विषयवार पढ़ाने के लिए शिक्षकों का सृजन करना सरकार का काम है. राज्य सरकार वैकेंसी निकाल कर शिक्षकों की पहले भर्ती करें. क्योंकि शिक्षक का वेतन राज्य सरकार देगी तभी तो महिला महाविद्यालय सुचारू रूप से चल पाएगा.

लड़कियों की मांग- जल्द खोला जाए कॉलेज

यह जिला का इकलौता महिला कॉलेज है. साहिबगंज महाविद्यालय के एक छोटा सा कमर में यह कॉलेज चल रहा है इन पांच सालों में मात्र दो शिक्षक कॉमर्स के मिले हैं. इस महिला महाविद्यालय के प्रांगण में आवासीय भवन भी बनाया गया है ताकि दूर दराज की छात्रा यहां रहकर पढ़ सकेंगी. आकड़ों की बात करें तो 2015 में 36, 2016 में 148, 2017 में 62, 2018 में 38, 2019 में 47 और 2020 में 9 छात्राओं ने फॉर्म खरीदा. लड़कियों कहना है कि महिला महाविद्यालय जल्द से जल्द खुलना चाहिए क्योंकि कंबाइंड कॉलेज में लड़कियों का शत प्रतिशत एडमिशन नहीं हो पाता है. सिर्फ लड़कियों के लिए महिला कॉलेज का निर्माण होना बड़ी उपलब्धी है. इस कॉलेज के खुलने से लड़कियां बेझिझक स्वतंत्र रूप से पढ़ पाएंगी.

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कहीं ना कहीं राज्य सरकार और सिदो-कान्हो मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका की आपसी तालमेल की वजह से आज तक यह कॉलेज सुचारु रुप से चालू नहीं हो सका. इसमें राज्य सरकार और जनप्रतिनिधि के साथ सिंडिकेट सदस्य को आगे आना चाहिए और जल्द से जल्द महिला कॉलेज को चालू कराने का प्रयास करना चाहिए.

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