साहिबगंज: नमामी गंगे परियोजना (Namami Gange Project) के तहत गुरुवार को जिला प्रशासन, मत्स्य विभाग और गंगेटिक फिशरी सोसाइटी की ओर से मुक्तेश्वर घाट स्थित गंगा नदी में दो लाख छोटी मछलियां छोड़ी गई. इन मछलियों में कतला, रोहू, मृगल, कालबासु आदि प्रजाति के हैं. इन मछलियों के जरिये गंगा को साफ और स्वच्छ बनाने के साथ साथ स्थानीय मछुआरों की आमदनी बढ़ाई जा सके.
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बैरकपुर स्थित केंद्रीय अंतरस्थलीय मत्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (Central Inland Fisheries Research Institute) के निदेशक डॉ बी के दास अपने छह सदस्यीय दल की मदद से पूजा किया. उपायुक्त रामनिवास यादव ने मछली के संरक्षण में सरकार के साथ-साथ समाज की भागीदारी सुनिश्चित करना होगा. डॉ बीके दास ने कहा कि नमामी गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा नदी में मछलियों की संख्या बढ़ाने के साथ साथ डॉल्फिन को बचाव को लेकर दो लाख मछलियों को छोड़ा गया है. उन्होंने कहा कि इससे स्थानीय मछुआरों की आमदनी भी बढ़ाना है. उन्होंने कहा कि नदी में जैव विविधता बनी रहेगी.
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन प्रायोजित परियोजना के प्रमुख उद्देश्य है कि मछली की विविधता का अन्वेषण, सर्वेक्षण, बहुमूल्य मछलियों जैसे रेहु, कतला, कालबासु और महाशीर के स्टाक में वृद्धि शामिल है. उपायुक्त ने कहा कि गंगा नदी की स्वच्छता और जैव विविधता को बनाए रखने में आम लोग भी सहयोग करें. उन्होंने आमलोगों से अपील करते हुए कहा कि नदी में केमिकल वस्तुओं, प्लास्टिक, शैंपू, सर्फ, साबुन आदि नहीं फेंके. इस अवसर पर गंजेटिक फिशरी समिति के सभापति अशोक कुमार चौधरी, जिला मत्स्य पदाधिकारी संजय गुप्ता, मत्स्य प्रसार पदाधिकारी नवीन कुमार, सिफरी बैरकपुर के वैज्ञानिक डॉ राजू बैठा, डॉ नितेश रामटेके, आशीष राय चौधरी, सुरेश चौहान सहित दर्जनों अधिकारी उपस्थित थे.