साहिबगंज:इस बार बरहेट विधानसभा का चुनाव काफी दिलचस्प होने जा रहा है. यहां तीन पार्टी जेएमएम, आजसू और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है. आजसू प्रत्याशी गमेलियल हेम्ब्रम की आदिवासियों में अच्छी पकड़ है. दूसरी तरफ बीजेपी प्रत्याशी सिमोन मालतो कद्दावर नेता हैं और राजनीति का उन्हें अच्छा अनुभव भी है. वहीं, जेएमएम इस सीट पर लगातार जीत हासिल कर रही है. इस बार भी अपना गढ़ बचाने के लिए जेएमएम एड़ी चोटी एक करने में लगा हुआ है.
ऐतिहासिक जीत का दावा
बरहेट विधानसभा जेएमएम का गढ़ रहा है. 1990 से लगातार जेएमएम इस सीट पर काबिज है और आगे भी 2019 के चुनाव में इस सीट पर जीत का दावा कर रहा है. इस विधानसभा के निवर्तमान विधायक जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन हैं. उन्होंने संथाल परगना की दुमका और बरहेट विधानसभा से नामांकन किया है और दोनों सीट से ऐतिहासिक जीत का दावा किया है.
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जेएमएम प्रत्याशी हेमंत सोरेन से है टक्कर
वहीं, बरहेट विधानसभा सीट से इस बार बीजेपी और आजसू के उम्मीदवार भी इस सीट पर जीत का दवा कर रहे हैं. इन दोनों पार्टी का अपना अलग-अलग समीकरण है. ये दोनों पार्टी सिर्फ जेएमएम से टक्कर बता रहे हैं. बीजेपी का कहना है कि उनकी टक्कर आजसू से नहीं है, बल्कि जेएमएम प्रत्याशी हेमंत सोरेन से है. वहीं, आजसू प्रत्याशी का भी यही कहना है कि उनकी टक्कर बीजेपी से नहीं है. उनकी टक्कर जेएमएम प्रत्याशी हेमंत सोरेन से है.
सिद्धो-कान्हू की है पवित्र जन्मस्थली
जेएमएम के केंद्रीय सचिव ने कहा कि बरहेट विधानसभा सिद्धो-कान्हू की पवित्र जन्मस्थली है और इस सीट पर जेएमएम का शुरू से कब्जा रहा है. बीजेपी दूर-दूर तक यहां नजर नहीं आ रही है. उन्होंने कहा कि आए दिन बीजेपी कार्यकर्ता जेएमएम में शामिल हो रहे हैं. बीजेपी का झंडा ढोने वाला एक भी कार्यकर्ता बरहेट विधानसभा में अब नहीं बचा है. बीजेपी इसी से अंदाजा लगा सकती है कि बरहेट में उसकी क्या स्थिति है और इस बार बरहेट से हेमंत सोरेन फिर एक बार ऐतिहासिक वोट से जीत हासिल कर रहे हैं.