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बरहेट विधानसभा में होने वाला है त्रिकोणीय लड़ाई, सभी पार्टी कर रही जीत का दावा

बरहेट विधानसभा से इस बार जेएमएम, आजसू और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है. सभी पार्टी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. हालाकि, बरहेट विधानसभा आदिवासी बहुल क्षेत्र है. इस विधानसभा के लोग आदिवासी प्रत्याशी को देखकर वोट नहीं डालते हैं, बल्कि अपनी परंपरागत तीर-धनुष पर डालते हैं जो उनके देवता का स्वरूप माना जाता है.

बरहेट विधानसभा में होने वाला है त्रिकोणीय लड़ाई
Triangular fight to be held in Barhet assembly

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Published : Dec 4, 2019, 6:02 PM IST

साहिबगंज:इस बार बरहेट विधानसभा का चुनाव काफी दिलचस्प होने जा रहा है. यहां तीन पार्टी जेएमएम, आजसू और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है. आजसू प्रत्याशी गमेलियल हेम्ब्रम की आदिवासियों में अच्छी पकड़ है. दूसरी तरफ बीजेपी प्रत्याशी सिमोन मालतो कद्दावर नेता हैं और राजनीति का उन्हें अच्छा अनुभव भी है. वहीं, जेएमएम इस सीट पर लगातार जीत हासिल कर रही है. इस बार भी अपना गढ़ बचाने के लिए जेएमएम एड़ी चोटी एक करने में लगा हुआ है.

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ऐतिहासिक जीत का दावा
बरहेट विधानसभा जेएमएम का गढ़ रहा है. 1990 से लगातार जेएमएम इस सीट पर काबिज है और आगे भी 2019 के चुनाव में इस सीट पर जीत का दावा कर रहा है. इस विधानसभा के निवर्तमान विधायक जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन हैं. उन्होंने संथाल परगना की दुमका और बरहेट विधानसभा से नामांकन किया है और दोनों सीट से ऐतिहासिक जीत का दावा किया है.

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जेएमएम प्रत्याशी हेमंत सोरेन से है टक्कर
वहीं, बरहेट विधानसभा सीट से इस बार बीजेपी और आजसू के उम्मीदवार भी इस सीट पर जीत का दवा कर रहे हैं. इन दोनों पार्टी का अपना अलग-अलग समीकरण है. ये दोनों पार्टी सिर्फ जेएमएम से टक्कर बता रहे हैं. बीजेपी का कहना है कि उनकी टक्कर आजसू से नहीं है, बल्कि जेएमएम प्रत्याशी हेमंत सोरेन से है. वहीं, आजसू प्रत्याशी का भी यही कहना है कि उनकी टक्कर बीजेपी से नहीं है. उनकी टक्कर जेएमएम प्रत्याशी हेमंत सोरेन से है.

सिद्धो-कान्हू की है पवित्र जन्मस्थली
जेएमएम के केंद्रीय सचिव ने कहा कि बरहेट विधानसभा सिद्धो-कान्हू की पवित्र जन्मस्थली है और इस सीट पर जेएमएम का शुरू से कब्जा रहा है. बीजेपी दूर-दूर तक यहां नजर नहीं आ रही है. उन्होंने कहा कि आए दिन बीजेपी कार्यकर्ता जेएमएम में शामिल हो रहे हैं. बीजेपी का झंडा ढोने वाला एक भी कार्यकर्ता बरहेट विधानसभा में अब नहीं बचा है. बीजेपी इसी से अंदाजा लगा सकती है कि बरहेट में उसकी क्या स्थिति है और इस बार बरहेट से हेमंत सोरेन फिर एक बार ऐतिहासिक वोट से जीत हासिल कर रहे हैं.

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हेमंत सोरेन से नाराज है जनता
वहीं, बीजेपी प्रत्याशी सिमोन मालतो ने भी जीत का दावा करते हुए कहा है कि जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन अपने विधायकी कार्यकाल के दौरान बरहेट विधानसभा में कुछ भी काम नहीं किया है. अपना अधिक से अधिक समय रांची में बिताया है. उन्होंने कहा कि इस बार बरहेट की जनता हेमंत सोरेन से नाराज है. उन्होंने आदिवासियों के हित में कुछ भी काम नहीं किया है. बरहेट की जनता को विधायक से मिलने के लिए सालों बीत जाता है. यहां तक कि आदिवासी समुदाय के लोग हेमंत सोरेन को पहचानते तक नहीं हैं. बरहेट की जनता इस बार बीजेपी को रिकॉर्ड मत से जीताएगी.

युवाओं की चाहत आदिवासी प्रत्याशी
आजसू प्रत्याशी ने कहा कि उनकी टक्कर बीजेपी से नहीं है. उनकी टक्कर जेएमएम प्रत्याशी हेमंत सोरेन से है. इस बार बरहेट विधानसभा सीट से आजसू पार्टी अपनी जीत का परचम लहराएगी. आजसू ने इस बार बरहेट विधानसभा से युवा नेता को प्रत्याशी बनाया है और आदिवासी युवाओं की चाहत युवा आदिवासी प्रत्याशी है. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन जीतने के बाद अपने विधानसभा में बहुत कम समय देते हैं. उनके विधायक प्रतिनिधि ने बरहेट में लूट मचा कर रखा है. इस क्षेत्र में जो भी सड़क या विवाह भवन बनता है उनका अलग से हिसाब बंधा हुआ है. बरहेट की जनता जेएमएम की कार्यप्रणाली से नाराज है और इस बार आजसू को समर्थन दे रही है.

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आदिवासी प्रत्याशी को देखकर लोग नहीं डालते हैं वोट
बता दें कि बरहेट विधानसभा जेएमएम का गढ़ है. आज तक यहां बीजेपी का कमल नहीं खिल पाया है. खास बात यह है कि बरहेट विधानसभा आदिवासी बहुल क्षेत्र है. इस विधानसभा के लोग आदिवासी प्रत्याशी को देखकर वोट नहीं डालते हैं, बल्कि अपने परंपरागत तीर-धनुष पर डालते हैं, जो उनके देवता का स्वरूप माना जाता है. यही वजह है कि बरहेट विधानसभा में आज तक जेएमएम को छोड़ किसी पार्टी ने जीत हासिल नहीं की है.

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