साहिबगंज: जिले में हो रहे अवैध खनन रोक लगाने को लेकर एनजीटी ने राज्य सरकार को सख्त निर्देश दिया है. इस निर्देश के आलोक में सोमवार को उच्च स्तरीय टीम साहिबगंज पहुंची. इस टीम में अपर मुख्य सचिव एल ख्यांगते, खानन सचिव अबु बकर सिद्दकी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव वाईके दास शामिल हैं. इस टीम ने जिले में संचालित क्रशरों और पत्थर खदानों का निरीक्षण की. अब रिपोर्ट तैयार करेंगे. इस रिपोर्ट को 27 फरवरी को एनजीटी कोर्ट में होने वाली सुनवाई में प्रस्तुत किया जाएगा.
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बता दें कि स्टोन चिप्स के लिए पहाड़ों को जहां तहां तोड़ने से होने वाली समस्या को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अरशद नसर ने साल 2017 में एनजीटी में याचिका दायर की थी. इस मामले की सुनवाई चल रही है. एनजीटी कोर्ट ने खनन से संबंधित रिपोर्ट मांग की है. इसको लेकर एक टीम पहुंची है. इस टीम ने जांच में पाया कि जिले में प्रदूषण की स्थिति काफी गंभीर है. पीएम-10 का स्तर सामान्य रूप से 100 के आसपास रहना चाहिए, जो 217 पर है.
टीम ने जिले को 130 ग्रिड में बांटकर अध्ययन किया है. एक ग्रिड चार वर्ग किलोमीटर का था. ग्रिड एक, तीन, चार व सात की स्थिति भयावह है. यहां सामान्य से ज्यादा पत्थर गिट्टी का दोहन हो रहा है. एनजीटी कोर्ट ने जनवरी 2023 तक कार्रवाई करने का आदेश सरकार को दिया था. इस निर्देश के आलोक में अपर मुख्य सचिव एल ख्यांगते की अध्यक्षता में कमेटी गठन किया गया. हालांकि, पिछले कुछ महीनों में डेढ़ दर्जन से अधिक पत्थर खदानों की लीज रद्द की गई और कई क्रशरों को बंद किया गया है.
जिले में पत्थर का खनन वर्षों से हो रहा है. लेकिन पहली बार ऐसा वैज्ञानिक सर्वे हुआ है. टीम में आइआइटी कानपुर के प्रोफेसर मुकेश शर्मा, आआइटी दिल्ली के प्रोफेसर सागनिक डे, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एडिशनल डायरेक्टर डॉ नरेंद्र शर्मा, झारखंड स्टेट प्रदूषण बोर्ड के सदस्य सचिव और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक शामिल थे.