साहिबगंज:पूरी दुनिया मेंविश्व दिव्यांग दिवस मनाया जा रहा है. कोई जन्म से दिव्यांग होता है तो कुछ बड़े होकर किसी वजह से दिव्यांग हो जाते हैं. कई ऐसे लोग हैं जिन्हें लगता है कि दिव्यांग होने की वजह वह इस दुनिया में कुछ नहीं कर पाएंगे. उनका मनोबल टूटने लगता है. लेकिन साहिबगंज में कुछ जन्मजात सूरदास तो कुछ मुंह के साथ-साथ पैरों से दिव्यांग हैं. बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. ये सभी अपनी मेहनत और जज्बे से अपने परिवार का जीविकोपार्जन कर रहे हैं.
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तालबन्ना के रहने वाले 38 वर्षीय दिव्यांग निरंजन कुमार यादव बताते हैं कि 4 साल की उम्र में उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी. तब से आज तक उन्होंने दुनिया को खुली आंखों से नहीं देखा. लेकिन आज वो खुद कड़ी मेहनत कर अपने पैरों पर खड़े हैं. निरंजन अपने सहयोगी के साथ मिलकर ठेला लेकर मजदूरी करते हैं और परिवार पालने के लिए पैसे कमाते हैं. निरंजन 50 किलो तक सामान अपने माथे पर उठाते हैं और गोदाम तक पहुंचाते है, जिससे उसे आमदनी होती है. सरकार की तरफ से भी निरंजन को दिव्यांग पेंशन योजना का लाभ मिलता है.
कारू मजदूरी कर चलाते हैं परिवार
शोभनपुर भट्टा के रहने वाले 35 वर्षीय दिव्यांग कारू सिन्हा साहिबगंज स्टेशन के पास फुटपाथ पर नारियल बेचते हैं. कारू दोनों पैर और एक हाथ से दिव्यांग हैं. उन्होंने बताया कि वो सालों से नारियल बेच रहे हैं और अपना परिवार चला रहे हैं. सहारा बैंक में कारू का एक लाख तीस हजार रुपया भी डूब गया है. लेकिन प्रसासन की ओर से उसे मदद नहीं दी जा रही है. जिससे वो थोड़ा उदास हैं.
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