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World Disabilities Day 2021: साहिबगंज में दिव्यांग बने प्रेरणास्रोत, आत्मनिर्भर होकर चला रहे हैं परिवार - साहिबगंज समाचार

साहिबगंज के कुछ दिव्यांग समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं. कोई जन्मजात सूरदास हैं तो कोई मुंह के साथ पैरों से भी दिव्यांग हैं. इसके बावजूद वे खुद अपनी मेहनत से पैसे कमा रहे हैं और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. इन सभी के जज्बे को विश्व दिव्यांग दिवस के मौके पर ईटीवी भारत की ओर से सलाम.

World Disabilities Day
विश्व विकलांग दिवस

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Published : Dec 3, 2021, 12:22 PM IST

Updated : Dec 3, 2021, 2:16 PM IST

साहिबगंज:पूरी दुनिया मेंविश्व दिव्यांग दिवस मनाया जा रहा है. कोई जन्म से दिव्यांग होता है तो कुछ बड़े होकर किसी वजह से दिव्यांग हो जाते हैं. कई ऐसे लोग हैं जिन्हें लगता है कि दिव्यांग होने की वजह वह इस दुनिया में कुछ नहीं कर पाएंगे. उनका मनोबल टूटने लगता है. लेकिन साहिबगंज में कुछ जन्मजात सूरदास तो कुछ मुंह के साथ-साथ पैरों से दिव्यांग हैं. बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. ये सभी अपनी मेहनत और जज्बे से अपने परिवार का जीविकोपार्जन कर रहे हैं.

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तालबन्ना के रहने वाले 38 वर्षीय दिव्यांग निरंजन कुमार यादव बताते हैं कि 4 साल की उम्र में उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी. तब से आज तक उन्होंने दुनिया को खुली आंखों से नहीं देखा. लेकिन आज वो खुद कड़ी मेहनत कर अपने पैरों पर खड़े हैं. निरंजन अपने सहयोगी के साथ मिलकर ठेला लेकर मजदूरी करते हैं और परिवार पालने के लिए पैसे कमाते हैं. निरंजन 50 किलो तक सामान अपने माथे पर उठाते हैं और गोदाम तक पहुंचाते है, जिससे उसे आमदनी होती है. सरकार की तरफ से भी निरंजन को दिव्यांग पेंशन योजना का लाभ मिलता है.

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कारू मजदूरी कर चलाते हैं परिवार

शोभनपुर भट्टा के रहने वाले 35 वर्षीय दिव्यांग कारू सिन्हा साहिबगंज स्टेशन के पास फुटपाथ पर नारियल बेचते हैं. कारू दोनों पैर और एक हाथ से दिव्यांग हैं. उन्होंने बताया कि वो सालों से नारियल बेच रहे हैं और अपना परिवार चला रहे हैं. सहारा बैंक में कारू का एक लाख तीस हजार रुपया भी डूब गया है. लेकिन प्रसासन की ओर से उसे मदद नहीं दी जा रही है. जिससे वो थोड़ा उदास हैं.

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भूषण चौधरी अपनी कलाकारी से कमाते हैं पैसे

पुरानी साहिबगंज के कुम्हार टोली का रहने वाले 63 वर्षीय भूषण चौधरी का जन्म से दोनों आंख नहीं है. वो बचपन से ही रेडियो पर गीत संगीत सुनते थे. जिससे प्रभावित होकर उन्होंने इलाहाबाद कॉलेज से संगीत से ग्रेजुएशन किया. अपने अनुभव से भूषण हारमोनियम के केसिओ बजा लेते हैं. भूषण इतना बेहतरीन कलाकार हैं कि उनकी कई जगहों पर मांग होती थी. वो भागलपुर, पटना, पूर्णिया सहित अन्य जगहों पर जाते हैं और कार्यक्रम करते हैं. लेकिन आज के समय में डीजे की मांग बढ़ने से उनकी परेशानी बढ़ गई है. डीजे के आ जाने से उनकी मांग कम होने लगी है. जिससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है. फिलहाल भूणण विकलांग पेंशन के सहारे अपनी जिंदगी काट रहे हैं.

ढोलक वादक सुनील पंडित को मदद की जरूरत

मुंह से दिव्यांग सुनील पंडित ढोलक बजाकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि डीजे आने के वजह से मांग कम होने लगी है. जिसके वजह से अधिक आमदनी नहीं होती है और परिवार पालने में परेशानी होने लगी है. सुनील के 5 बच्चे हैं. जिसमें दो लड़का और तीन लड़की है. उन्होंने बच्चों की पढ़ाई के लिए जिला प्रशासन से मदद की अपील की है.

दिव्यांग प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना का ले सकते हैं लाभ

जिला महाप्रबंधक ने कहा कि वैसे लोग जो बेरोजगार हैं और उनके पास पूंजी नहीं हैं, उन्हें प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत एक लाख से लेकर 25 लाख तक सब्सिडी पर लोन दिया जाता है. ऑनलाइन आवेदन कर इस योजना का लाभ ले सकते हैं और घर बैठे स्वरोजगार कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं.

Last Updated : Dec 3, 2021, 2:16 PM IST

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