साहिबगंज: गंगा का जलस्तर घटने के साथ ही किसान अपने खेतों में बुवाई और जुताई में जुट गए हैं. गंगा किनारे सैकड़ों हेक्टेयर जमीन पर रबी फसल की बुवाई शुरू हो गई है. किसान किसी तरह खेती के लिए बीज, यूरिया, डीएपी और खेतों की जुताई के लिए पैसे की व्यवस्था कर खेती की तैयारी में हैं. लेम्स में किसानों के लिए फिलहाल गेहूं और यूरिया उपलब्ध नहीं है. जिसके कारण किसानों को दुकानों से बीज और खाद खरीदना पड़ रहा है. खुदरा खाद विक्रेता किसानों से अवसर का फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड रहे हैं. जिससे किसान परेशान हैं.
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किसानों को बाजारों में डीएपी खाद भी नहीं मिल रहा है. बाताया जा रहा है कि भारत में ही डीएपी की किल्लत है. जिससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है. यदि बुवाई के समय डीएपी खाद खेत में नहीं दिया गया तो पौधे का ग्रोथ रुक जाएगा. पौधा कमजोर होकर समय से पहले सूख सकता है.
खादों के दामों में इजाफा
किसानों का कहना है कि देश में महंगाई से किसान परेशान हैं. लेकिन हमारा दर्द कोई समझने वाला नहीं है. पिछले साल की अपेझा इस साल खेती करने में अधिक पैसे लग रहे हैं. गेहूं के दाम में भी उछाल. वहीं उन्होंने बताया कि पिछले साल यूरिया 350 रुपया में मिलता था. लेकिन इस बार 450 रुपये में बीक रहा है. ईफको यूरिया 294 की बढकर 350 रुपये में मिल रहा है. डीएपी 1300 से बढकर 1450 रुपये (50 किलो) हो गया है. जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है. किसानों ने बताया कि अभी खेतों में नमी है. इस वजह से जल्द बुवाई करने में फायदा है, नहीं तो सिंचाई कर खेती करना किसानों को भारी महंगा पड़ेगा. उन्होंने कहा कि दुकानदार कालाबाजारी कर खाद के दाम बढाकर किसानों से ले रहे हैं. इसपर लगाम लगान बेहद जरूरी है.