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कौन है जूली, जिसको तलाश रहे साहिबगंज के अधिकारी

कौन है जूली..कहां रहती है.. हकीकत है या अफसाना... यह सवाल ही आजकल साहिबगंज समाज कल्याण विभाग दफ्तर में हर किसी के दिमाग में कौंध रहा है. लेकिन किसी को खबर नहीं लग रही है. बाल गृह में बतौर अकाउंटेंट कार्यरत जूली को पांच साल में किसी ने नहीं देखा. जबकि जूली के नाम से करीब दस लाख रुपये वेतन दिए जा चुके हैं. स्थानीय लोग इसे अकाउंटेंट के नाम पर फर्जी तरीके से वेतन निकालने के मामले से जोड़कर देख रहे हैं.

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कौन है जूली, जिसको तलाश रहे साहिबगंज के अधिकारी

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Published : Jun 30, 2021, 1:21 PM IST

Updated : Jun 30, 2021, 4:20 PM IST

साहिबगंजःजिले में बाल गृह की अकाउंटेंट को पांच साल से किसी ने नहीं देखा, जबकि बाल गृह की अकाउंटेंट जूली के नाम पर हर महीने वेतन का भुगतान किया जा रहा है. इससे अब अधिकारी जूली को तलाश रहे हैं. वहीं वेतन भुगतान के नाम पर फर्जीवाड़े की आशंका जताई जा रही है.

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बाल गृह को लेकर यहीं के रहने वाले सरफराज बताते हैं कि साहिबगंज जिले के डीडीसी आवास के सामने सरकारी क्वार्टर में गुमला के बिशुनपुर की स्वयंसेवी संस्था बाल गृह चलाती है. यहां नाबालिग, मिसिंग और बेसहारा बच्चों को रखा जाता है. संस्था का काम बच्चों के भोजन, कपड़े का इंतजाम करना और रिपोर्ट तैयार करना है. इस काम और स्टाफ के वेतन के लिए सरकार पैसे खर्च करती है. यह बाल गृह राज्य और केंद्र सरकार की ओर से प्रायोजित है. संस्था ने 05/09/2016 को रजिस्ट्रेशन कराया था और इस संस्था का पांच साल का कार्यकाल 04/09/2021 को खत्म हो रहा है, लेकिन अब तक न तो पदाधिकारी और न ही बाल गृह के किसी अन्य स्टाफ ने अकाउंटेंट को देखा है. स्थानीय निवासी कलीमुद्दीन आलम का कहना है कि संस्था में अकाउंटेंट के नाम पर सरकारी पैसे का गबन किया जा रहा है. जबकि जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पूनम कुमारी का कहना है कि महीने में कम से कम दो बार बाल गृह का दौरा करती हैं. हर महीने मीटिंग होती है, लेकिन जूली के बारे में कोई बता नहीं पाता. स्टाफ कहता है कि जूली कुमारी रांची में रहती हैं. वहीं से बाल गृह के अकाउंट का काम करती हैं.

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डीडीसी आवास के सामने बाल गृह


साहिबगंज में गुमला जिले की स्वयं सेवी संस्था विकास भारती बिशुनपुर बाल गृह (चाइल्ड होम) चलाती है. यह बाल गृह शहर के धोबिया घाट स्थित डीडीसी आवास के सामने सरकारी क्वार्टर A टाइप बिल्डिंग में चल रहा है. इस बाल गृह के कर्मचारियों की सैलरी समाज कल्याण पदाधिकारी के अनुशंसा पर जिला स्तर से दी जाती है. इसके लिए हर महीने बाल गृह से रिपोर्ट तैयार कर समाज कल्याण पदाधिकारी और जिला बाल संरक्षण अधिकारी के पास भेजी जाती है. लेकिन बाल गृह में कोई अकाउंटेंट है या नहीं, अब तक किसी ने ध्यान नहीं दिया. जबकि उसके नाम पर लगातार सैलरी का भुगतान किया जा रहा है.

पांच साल में किसी ने अकाउंटेंट को नहीं देखा


जिला बाल गृह के अकाउंटेंट पद पर नियुक्त जूली कुमारी के नाम से अब तक करीब 10 लाख रुपये का भुगतान किया गया है. अगर इस नाम की कोई कर्मचारी नहीं है तो यह सरकारी राशि के गबन का मामला बनता है. इधर जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पूनम कुमारी ने ईटीवी भारत की टीम को बताया कि संस्था के करीब पांच साल के कार्यकाल में उन्होंने जूली कुमारी को कभी नहीं देखा है जबकि हर महीने में कम से कम दो बार वह दौरा करती हैं. हर महीन मीटिंग भी होती है, लेकिन अकाउंटेंट मीटिंग में नहीं रहतीं. स्थानीय लोगों ने इसकी जांच की मांग की है. उनका कहना है कि यह गबन का मामला है आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जानी चाहिए.

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बाल गृह में इस पद के लिए हर महीने मिलती है इतनी सैलरी(रुपये में)

  • बाल गृह इंचार्ज - 25000
  • केस वर्कर - 17500
  • काउंसलर -17500
  • अकाउंटेंट -14000 ( लगभग) (जूली कुमारी ज्वाइनिंग तिथि 01/09/ 2017)
  • हाउस फादर( 1)- 11000
  • हाउस फ़ादर (2) - 11000
  • रसोइया (1) - 6000
  • रसोइया ( 2) - 6000
  • ANM- 9000
  • गार्ड- 6000
Last Updated : Jun 30, 2021, 4:20 PM IST

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