झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

साहिबगंज में ओडीएफ का मजाक! महिलाएं खुले में शौच के लिए मजबूर - ODF villages in Jharkhand

साहिबगंज में ओडीएफ का माखौल किस कदर उड़ाया जा रहा है, इसकी बागनी देखने को मिली. यहां के सुखराज टोला गांव में शौचालय नहीं है, इस वजह से महिलाएं खुले में शौच के लिए मजबूर हैं. दूसरी ओर इस गांव में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. इस गांव की बदहाली बयां करती ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट.

no-toilets-built-in-sukhraj-tola-village-in-sahibganj
साहिबगंज

By

Published : May 5, 2022, 6:56 PM IST

Updated : May 5, 2022, 10:24 PM IST

साहिबगंज: सदर प्रखंड के पंचायत गंगा प्रसाद पूर्व स्थित सुखराज टोला गांव है, जिसकी आबादी लगभग 300 है. सभी लोग पेशे से मजदूर और किसान हैं. आजादी के बाद इस गांव में जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि के द्वारा मुलभूत सुविधा मुहैया नहीं कराया गया है. इस गांव में तीन वर्ष पूर्व राजमहल विधायक अनंत ओझा के द्वारा के बिजली की व्यवस्था की गयी है. सोलर युक्त पेयजल की व्यवस्था की गयी है. एक कुंआ और एक चापाकल है लेकिन आयरन आवश्यकता से अधिक निकलता है. इस बस्ती के लोग दूसरे गांव से पीने के लिए पानी लाते है. यहां लगभग 15 फीट पक्की सड़क गांव में बनी है, एक आंगनबाडी स्कूल है जो बंद रहता है.

इसे भी पढ़ें- ODF का माखौलः खुले में शौच मुक्त लोहरदगा की जमीनी सच्चाई, पड़ताल में खुली पोल

साहिबगंज में ओडीएफ का मखौल किस कदर उड़ाया जा रहा है, इसकी बागनी यहां देखने को मिली. यहां के सुखराज टोला गांव में शौचालय नहीं है, इस वजह से महिलाएं खुले में शौच के लिए मजबूर हैं. आज तक एक भी शौचालय गांव में नहीं बना है. गांव के बुद्धिजीवी भगवान मंडल ने कहा कि देश आजाद होने से पहले से उनके दादा और पिताजी रहते आ रहे है लेकिन आज तक किसी ने इस गांव से मुख्य सड़क तक पक्की सड़क बनाने की पहल नहीं की. नतीजा यह होता है कि किसी गर्भवती महिला को सड़क तक ले जाना हो तो चारपाई पर ले जाना पड़ता है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

उन्होंने बताया कि लगभग आधा किमी से अधिक दूरी पर एनएच 80 पर से ममता वाहन या अन्य वाहन से अस्पताल ले जाते हैं. बाढ़ के दिनों में टीन के जुगाड़ नाव पर ले जाते हैं. बाढ़ में यह गांव पूरी तरह से डूब जाता है. जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. पिछली बाढ़ में लालू मंडल का सात साल का पुत्र पानी में डूबने से मौत हो गयी थी लेकिन आज तक मुआवजा नहीं मिला.

विरु मंडल बताते हैं कि इस गांव में पानी पीने योग्य नहीं है, पानी में आयरन की मात्रा काफी अधिक है. इस पानी से लोग बीमार पड़ रहे है. इस पानी से सिर्फ नहाने और मवेशी को पानी पिलाने के काम में लाते हैं. स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए दूसरे गांव से लगभग एक किमी चलकर पीने के लिए पानी लाते है. आज तक किसी जनप्रतिनिधि या जिला प्रशासन के द्वारा इस दिशा में देखने तक नहीं आया. गांव में एक आंगनबाड़ी है जो हमेशा बंद रहता है.


ग्रामीण महिला जिछो देवी ने कहा कि सुखराज टोला गांव में शौचालय नहीं बना है. जिसका सजा महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है. प्रतिदिन दूसरे के खेत में शौच के लिए जाना पड़ता है तो खेत का मालिक गाली-गलौज करतता है, ढेला मारता है. किसी तरह अंधेरा का फायदा उठाकर वो शौच के लिए जाती हैं लेकिन कभी कभी शर्म महसूस होती है. उनका कहना है कि अब तक किसी मुखिया ने इस ओर ध्यान नहीं दिया हैं.

इसे भी पढ़ें- ODF घोषित गुमला जिले के गई गांवों में नहीं है शौचालय, खुले में शौच करने को लोग विवश

खुशबू देवी ने कहा कि वो मजदूर हैं खाना पीना में सारा खर्च हो जाता है. मजदूरी से 250 से 300 रुपया मिलता है जो बचा नहीं पाते हैं. यही वजह है कि आज तक वो लोग अपना शौचालय नहीं बना पाए. सरकारी स्तर पर 12000 हजार की लागत से शौचालय अगर उनके गांव में बना दिया जाता तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती. पेयजल की समस्या को लेकर उन्होंने कहा कि पानी के लिए दूसरे गांव में जाते है. सड़क नहीं बनने से बरसात में बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है. कोई भी जनप्रतिनिधि हो या जिला प्रशासन हमारे गांव के प्रति सौतेला व्यवहार कर रही है.

इस बाबत उप विकास आयुक्त प्रभात कुमार बरदियार ने कहा कि जिला में इस तरह के गांव को सर्वे करने का आदेश किया था. ऐसे कई गांव मिले हैं जिनमें बिजली, पानी, सड़क और स्वास्थ्य की व्यवस्था की गयी है. फिर भी अगर इस तरह की गांव की बात सामने आ रही तो चुनाव के बाद सर्वे कराकर वो सारी चीज सुविधाएं मुहैया करायी जाएगी. सभी विभाग से समन्वय स्थापित कर मूलभूत सुविधा प्रदान की जाएगी.

झारखंड में पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है, गांव की सरकार बनने जा रही है. लेकिन आज तक इस गांव में सुविधा के नाम पर लॉलीपॉप दिखाया गया है. 300 की आबादी वाला यह गांव में मजदूर और किसान वर्ग के लोग रहते हैं. गांव से सड़क बनाकर मुख्य सड़क से नहीं जोड़ा गया है. हर गांव ओडीएफ घोषित हो चुका है लेकिन यह गांव इस योजना से अछूता रह गया है. शुद्ध पेयजल के लिए यह गांव जूझ रहा है. निश्चित रुप से जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन को गांव में रहने वाले भोले भाले मजदूर वर्ग के लोगों पर ध्यान देने की जरुरत है.

Last Updated : May 5, 2022, 10:24 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details