साहिबगंज:जिले में 3 विधानसभा क्षेत्र आते हैं राजमहल, बोरियो और बरहेट. वहीं, बोरियो विधानसभा राजमहल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. झारखंड राज्य की 81 विधानसभा सीटों में बोरियो सीट काफी महत्वपूर्ण स्थान रखती है. इसकी मुख्य वजह है इस क्षेत्र में ब्लॉक मुख्यालय का होना. यही कारण है कि यह क्षेत्र जिले की राजनीति में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
देखें ताला मरांडी का रिपोर्ट कार्ड एसटी के लिए आरक्षित है सीट
पहाड़ी इलाके के इस क्षेत्र में संथाल और पहाड़िया समुदाय के लोग बसते हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक इस क्षेत्र में कुल 2,46,634 मतदाता हैं वहीं 1,20,505 पुरुष मतदाता और 1,26,129 महिला मतदाता है. इस इलाके में बड़ी संख्या में माल पहाड़ी और संथाली समुदाय के लोग बसते हैं. यहां का ज्यादातर हिस्सा अनुसूचित जाति के ग्रामीणों और बाकी आदिवासी जनजाति के लोगों का है. यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है.
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बोरियो क्यों है खास
जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर राजमहल का बोरियो विधानसभा क्षेत्र अपनी संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है. इस इलाके में प्रकृति ने खूब अपने सौंदर्य को खूब बिखेरा है. यहां के पहाड़, जंगल और झरने पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. वहीं इस विधानसभा में अत्यधिक क्रशर जोन देखने को मिलता है. यहां के ज्यातादर लोग इन क्रशरों में मजदूरी करके अपना भरण-पोषण करते हैं या पहाड़ों पर से सुखी लकड़ी लाकर अपना पेट चलाते हैं. बोरियो विधानसभा में जिलेबिया घाटी की खास पहचान है. इस घाटी में तीन से चार किमी गोल-गोल रास्ता घूमता है जो देखने में जितना खूबसूरत है उतना ही दुर्घटनाओं को न्यौता देता है. यहां करोड़ों वर्ष पुराना फॉसिल्स पाया जाता है. देश-विदेश से भुगर्भशास्त्री इस फॉसिल्स को देखने और शोध करने आते हैं.
इतिहास की नजर में बोरियो
19 अप्रैल 1985 को जल, जंगल और जमीन को लेकर बोरियो में एक बड़ा आंदोलन हुआ था. इस आंदोलन में पूर्व सांसद फादर एंथोनी ने 15 आदिवासियों के साथ अपनी जान गंवा दी थी. बोरियों में इनकी याद में आज भी एक स्मारक बना हुआ है.
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राजनीतिक इतिहास में बोरियो
1957 में पहली बार बोरियो विधानसभा अस्तित्व में आया था. उस समय यह सामान्य सीट था लेकिन 1965 से यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कर दी गई. 1990 के बाद तीन बार जेएमएम ने इस विधानसभा में अपना परचम लहराया था और बीजेपी ने दो बार यहां से विधानसभा सीटों में जीत दर्ज किया. इस विधानसभा से निर्दलीय विधायक भी बने हैं.
झारखंड बनने के बाद
राजमहल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा बने बोरियो में झारखंड बनने के बाद पहली बार 2005 में विधानसभा चुनाव कराए गए. इस चुनाव में बीजेपी के ताला मरांडी पहले विधायक चुने गए. 2009 के चुनाव में यह सीट जेएमएम के हिस्से में आई और यहां से लोबिन हेंब्रम विधायक बने. 2014 के चुनाव में यहां पर बीजेपी ने फिर से पासा पलट दिया और ताला मरांडी दूसरी बार विधायक बन गए. इस चुनाव में जेएमएम के नेता लोबिन हेंब्रम ने उन्हें कड़ी चुनौती दी और वोटों का अंतर मात्र 712 वोटों का रहा. इस चुनाव में 67.86 फीसदी मतदान हुआ. वर्तमान में बोरियो के विधायक ताला मरांडी हैं, जो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
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बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं ताला मरांडी
बोरियो के विधायक ताला मरांडी 2016 में झारखंड प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष भी बनाए जा चुके हैं. हालांकि प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल काफी छोटा रहा. प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उनका कार्यकाल सिर्फ 13 सप्ताह का रहा. ताला मरांडी के कई विवादों में फंसने के बाद पार्टी ने उन्हें पद से हटाने का निर्णय लिया था.
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वर्तमान विधायक ताला मरांडी के दावे
ताला मरांडी ने अपने 5 साल के कार्यकाल के बारे में दावा करते हुए कहा है कि 5 साल में यदि सबसे बड़ा काम उन्होंने किया है तो वो है जब आदिवासियों के लिए झारखंड सरकार एसटी-एससी विधेयक लाने का प्रयास कर रहे थे तो अपनी ही सरकार के खिलाफ उन्होंने मोर्चा खोल दिया. उनका दावा है कि बिना अपने बारे में सोचे आदिवासियों के हित के लिए आवाज उठाया है. वहीं उनका यह भी कहना है कि उन्होंने पुल निर्माण, सिंचाई, बिजली व्यवस्था दुरस्त करने और शिक्षा-स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है. उनका दावा है कि केंद्र और राज्य सरकार की सभी योजनाओं को उन्होंने धरातल पर उतारने का प्रयास किया है. हालांकि उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने की ज्यादा जरूरत है और यदि वे दोबारा विधायक बनते हैं तो शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर काम करेंगे.
विपक्ष का दावा
जेएमएम के बुद्धिजीवी मंच के युवा नेता सरफराज आलम ने 5 साल में ताला मरांडी के किए कार्यों का मजाक उड़ाया है. उन्होंने कहा है कि शिक्षा-स्वास्थ्य सड़क बिजली पानी में कुछ भी काम नहीं किया है. इसका सीधा असर जनता के आक्रोश में देखा जा सकता है. उनका कहना है कि जनता इस बार बोरियो विधायक ताला मरांडी को नकार चुकी है और 2019 के चुनाव में एक बार फिर विधायक लोबिन हेंब्रम को जीताएगी.
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ताला मरांडी पर जनता की क्या है राय
बोरिया विधानसभा के चानन गांव में ईटीवी भारत ने जब ग्रामीणों से ताला मरांडी के 5 साल में किए गए विकास के बारे में जानना चाहा तो जनता का असर ताला मरांडी के लिए खतरे के आसार दिखा रहा है. किसी ने कहा कि बिजली व्यवस्था दुरूस्त नहीं हुई तो किसी ने शिक्षा-स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम नहीं करने की शिकायत की. हालांकि कुछ लोगों ने कहा कि उन्होंने सड़क-शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है. कुल मिलाकर उन्हें जनता ने 10 में से औसत 3 मार्क्स दिए हैं जो बताता है कि वह जनता का दिल जीतने में फेल हो गए हैं. शायद यही कारण है कि उनकी पार्टी ने भी उनपर भरोसा नहीं जताया है और उनका टिकट काट दिया है.
2019 का क्या है मुद्दा
विपक्ष एस-एसएटी के मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएगी और बीजेपी को गरीब गरीब विरोधी बताकर वोट मांगने का प्रयास करेगी. विपक्ष का कहना है कि अवैध माइनिंग से हो रही अंधाधुंध पेड़ों के कटाई से पहाड़िया समाज असुरक्षित महसूस कर रहा है, इसे विपक्ष अपना मुद्दा बनाएगा तो वहीं बीजेपी भी आदिवासी के हित में किए गए कार्य की उपलब्धि गिना कर वोट मांगने का प्रयास करेगी.
बीजेपी ने काटा ताला मरांडी का टिकट
ताला मरांडी काफी विवादों में रहे हैं. यही कारण था कि प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के मात्र 13 सप्ताह बाद ही उन्हें इस पद से हटा दिया गया था. इन विवादों में सबसे मुख्य विवाद था उनके बेटे के खिलाफ शोषण का आरोप. इसके साथ ही विधायक ताला मरांडी ने अपनी ही सरकार के खिलाफ जनजातियों के भूमि अधिकार की सुरक्षा करने वाले कानून में प्रस्तावित बदलाव को लेकर मोर्चा खोल दिया था. ऐसे में बीजेपी उन्हें फिर से मौका देगी इसकी संभावना कम जताई जा रही थी. वहीं जनता भी उनके काम से खुश नहीं नजर आई इसलिए इस बार बीजेपी ने ताला मरांडी पर दांव नहीं खेलते हुए सूर्य हांसदा को टिकट दिया है.