साहिबगंजः भारत और चीन के बीच लद्दाख के गलवान घाटी में हुए झड़प में साहिबगंज के वीर सपूत कुंदन ओझा शहीद हो गए. वीर कुंदन कुमार ओझा का पार्थिव शरीर शुक्रवार को उनके पैतृक गांव डिहारी पहुंचा. शहीद का पार्थिव शरीर हवाई मार्ग से गुरुवार की शाम पटना पहुंचा और वाहन से सदर प्रखंड के हाजीपुर पश्चिम पंचायत के डिहारी गांव लाया गया, जहां जिला प्रशासन की ओर से शहीद कुंदन की अंतिम यात्रा तय की गई.
कैंट से आए सेना के जवान ने शहीद को सलामी दी
शहीद के पार्थिव शरीर को बिहार और झारखंड के चेकनाका पर एसडीओ पंकज कुमार साव और एसडीपीओ राजा कुमार मित्रा ने रिसीव किया. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पैतृक गांव डिहारी पहुंचाया गया. यहां रामगढ़ और दानापुर कैंट से आए सेना के जवान ने शहीद को सलामी दी. उपायुक्त वरुण रंजन, पुलिस अधीक्षक अनुरंजन किस्पोट्टा, भाजपा सांसद सुनील सोरेन, पूर्व मंत्री राज पालीवाल, पूर्व मंत्री डॉ लुईस मरांडी, झामुमो के केंद्रीय सचिव पंकज मिश्रा और जिले के आला अधिकारियों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी.
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शहीद कुंदन ओझा को कैंट के जवानों की ओर से सलामी दी गयी. इसके बाद अंतिम दर्शन के लिए शहीद के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक निवास रखा गया है, जहां लोग उनका अंतिम दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में इकट्ठा हुए. लोगों ने वहां पर भारत माता की जय ओर वीर सपूत कुंदन ओझा जिंदाबाद और अमर रहे का नारा लगाया. इसके बाद अंतिम यात्रा जुलूस में हजारों हजार की संख्या में इनके अंतिम संस्कार में लोग शामिल हुए और मुनीलाल श्मशान घाट पर वीर शहीद कुंदन ओझा का अंतिम संस्कार किया गया. शहीद कुंदन ओझा 22 दिन पहले एक पुत्री के पिता बने थे. लेकिन ना पिता देख पाए अपनी पुत्री को और ना ही पुत्री देख पाई अपने पिता को.