जिले के मुक्तेश्वर घाट, चानन घाट, शकुंतला सहाय घाट, गोपाल पुल घाट और महादेवगंज घाट पर सुबह से ही लोगों का तांता लगा है. मान्यता है कि आज के दिन गंगा स्नान से सभी पाप धुल जाते हैं. इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि आज के दिन गंगा स्नान से चर्म रोगों से भी मुक्ति मिलती है.
आदिवासियों के लिए है खास
वहीं, आदिवासी समाज के लिए भी माघी पूर्णिमा का खास महत्व है. वह यह स्नान महाकुंभ की तर्ज पर करते हैं. आज के दिन धर्म गुरुओं के साथ साफाहोड़ और विदिन होड़ समाज के आदिवासी श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं. श्रद्धालु गंगा तट के अखाड़े में मां गंगा के साथ भगवान शिव की भी आराधना करते हैं.
क्या है मान्यता
पौराणिक मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के अवसर स्वयं श्रीहरि भगवान विष्णु पृथ्वी पर आकर गंगा के निर्मल जल से स्नान करते हैं. माघ पूर्णिमा पर जब स्वयं श्रीहरि इस पावन जल में स्नान करते हैं तो इस दिन का महत्व बेहद बढ़ जाता है.
लाखों की संख्या में पहुंचते हैं आदिवासी
तीन दिन तक चलने वाले इस मेले में भारत के कई राज्यो से लाखों की संख्या में सफाहोड़ आदिवासी श्रद्धालु पूजा करने पहुंचते हैं. जिला प्रशासन ने इस बार श्रद्धालुओं की सुरक्षा, मनोरंजन और नामामि गंगे की थीम पर जिले में चल रहे कल्याणकारी योजनाओं से लोगों को रूबरू कराने जा रही है. इसके लिए फेरी सेवा लंच को नामामि गंगा की थीम पर सभी योजनाओं को दर्शया गया है.
जिले में चल रही योजनाओं के बारे में सरकार देगी जानकारी
उप विकास आयुक्त ने नैंसी सहाय बताया कि म्यूजियम इन गंगा के तहत फेरी सेवा लंच को चुना गया है. इस लंच पर नामामि गंगा के तहत जिले में चल रहे योजनायों और गंगा की महिमा को विभिन्न कला कृतियों से दर्शया गया है.