साहिबगंज: झारखंड के साहिबगंज में बिंदुधाम पर्वत आस्था का अनूठा केंद्र हैं. यहां बिंदुवासिनी मंदिर में मां दुर्गा, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती संयुक्त रूप में विराजती हैं. पहाड़ की चोटी पर स्थित मंदिर तक जाने के लिए 108 सीढ़ी से चढ़कर माता के दर्शन किए जाते हैं. यह मंदिर बिंदु शक्तिपीठ के नाम से प्रख्यात है. यह मंदिर चारों तरफ से पहाड़ और हरे भरे पेड़ों से घिरा है. यहां कि प्राकृतिक छटा देखते बनती है.
वीडियो में देखें ये स्पेशल स्टोरी माता के दर्शन से पहले मुख्य दरवाजे पर बीच में भगवान सूर्यदेव के दर्शन होते हैं. भगवान सूर्यदेव अपने साथ घोड़ों के रथ पर सवार हैं. ऊपर चढ़ते ही माता का मंदिर है. जहां 3 पिंड 3 देवी की मूर्ति के सामने रखे हुए हैं. इस पिंड के रूप में 3 देवियां मां दुर्गा, मां सरस्वती और मां लक्ष्मी निवास करती हैं.
ऐसे बनी 51 शक्तिपीठ
इस मंदिर के पुजारी का कहना है कि 51 शक्तिपीठ में से यह भी एक शक्तिपीठ है. जिसे 3 देवियों का पिंड कहते हैं. इसे बिंदुवासनी के नाम से जाना जाता है. उन्होंने पौराणिक कथाओं का जिक्र करते हुए कहा कि जब मां पार्वती बिन बुलाए अपने मायके चली गई थीं और उन्हें अपमान सहना पड़ा, तो ऐसी स्थिति में मां पार्वती सती हो गईं थीं. जब भगवान भोलेनाथ को यह मालूम चला तो वो मां पार्वती का शव अपने कंधे पर रखकर तांडव करने लगे.
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तांडव इतना भयानक था कि पूरा सृष्टि समाप्त हो जाती. ऐसी स्थिति में भगवान विष्णु ने सती पार्वती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से टुकड़े-टुकड़े कर दिया. जहां-जहां सती पार्वती का रक्त गिरा वो जगह शक्तिपीठ के नाम से जानी जाने लगी. यह मंदिर भी 51 शक्ति पीठ में से एक है जहां माता पार्वती का रक्त गिरा है. आज भी इस मंदिर में 3 पिंड हैं और तीनों पिंड को तीन देवियों के नाम से जाना जाता है.
मंदिर में आए हुए भक्तों का कहना है कि माता सबकी इच्छाएं पूरी करती हैं. जो भी लोग यहां सच्चे दिल से मन्नत मांगते हैं, उनकी सारी मनोकामना पूरी होती है. बिंदुवासिनी माता के दर्शन के लिए झारखंड, बिहार, बंगाल, ओडिशा सहित देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं.