साहिबगंज: जिले का एकमात्र ब्लड बैंक इन दिनों फिर से ब्लड की कमी (lack of blood in blood bank) से जूझने लगा है. यहां मात्र 17 यूनिट ब्लड मौजूद है. कॉमन ब्लड बी (+) पॉजिटिव सिर्फ 01 यूनिट ब्लड अस्पताल में है. जबकि ब्लड बैंक में 300 यूनिट ब्लड स्टाॅक करने की क्षमता है. ऐसी परिस्थिति में मरीज को ब्लड की कमी से जूझना पड़ सकता है.
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17यूनिट ब्लड से कैसे होगा इलाज:जिले में ग्रुप के अनुसार ब्लड बैंक में ब्लड की बात करें तो यहां A निगेटिव ब्लड 1 यूनिट, A पॉजिटिव 02, B पॉजिटिव 01 यूनिट, B निगेटिव ब्लड 02, O पॉजिटिव 13 यूनिट, O निगेटिव 02 यूनिट, AB पॉजिटिव 0 यूनिट और AB निगेटिव ब्लड की 0 यूनिट है.
इनको दिया जाता है मुफ्त में ब्लड:थैलेसीमिया पेशेंट, पहाड़िया समुदाय के मरीज, एक्सीडेंटल केस में आने वाले मरीज और गर्भवती महिला को बिना ट्रांसफर के ही ब्लड दिए जाते हैं. जिला सदर अस्पताल में लगभग 20 से अधिक थैलेसीमिया के मरीज हैं. जिनको महीने में कम से कम एक बार ब्लड देना जरूरी है. यह भारत सरकार की गाइडलाइन है.
2 से 4 दिनों में खत्म हो जाएगा स्टाॅक:हाल ही में कई सामाजिक स्तर पर संस्था, युवाओं द्वारा ब्लड डोनेट किया गया था. सूर्या स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ विजय ने शादी की सालगिरह पर 50 यूनिट ब्लड मुहैया कराई थी, लेकिन धीरे-धीरे ब्लड यूनिट की संख्या कम होती चली गई. यही स्थिति रही तो आने वाले 2 से 4 दिनों में एक भी यूनिट ब्लड बैंक में नहीं बचेगा.
कैंप लगाकर ब्लड डोनेट कराने की जरूरत:एक बार फिर से रेड क्रॉस सोसाइटी को व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार कर कैंप लगाकर ब्लड डोनेट कराने की जरूरत है. साहिबगंज गायत्री परिवार की तरफ से भी एक कैंप लगाकर ब्लड डोनेट करने की जरूरत है. शहर के युवाओं को भी आगे बढ़कर ब्लड डोनेट करने की जरूरत है, ताकि विकट परिस्थिति में किसी की जान बचाई जाए सके.