साहिबगंज: जिले का ब्लड बैंक खून की कमी से जूझ रहा है. 300 यूनिट ब्लड की क्षमता के बावजूद यहां केवल 23 यूनिट खून बचा हुआ हैं. खून की कमी का सीधा असर गर्भवती महिलाओं पर पड़ रहा है जिन्हें डिलीवरी के समय खून की आवश्यकता होती है.
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23 यूनिट ब्लड से कैसे होगा इलाज
जिले में ग्रुप के अनुसार ब्लड की बात करें तो यहां A निगेटिव ब्लड 1 यूनिट, B पॉजिटिव 1 यूनिट, O पॉजिटिव 17 यूनिट O निगेटिव एक यूनिट, AB पॉजिटिव 3 यूनिट ब्लड है.
कई कारणों से खत्म होता है ब्लड का स्टॉक
ब्लड बैंक के लैब टेक्नीशियन मोहम्मद अजहर की माने तो ब्लड बैंक में हमेशा ब्लड की कमी तीन कारणों से हो जाती है. प्रति महीना लगभग 20 यूनिट ब्लड बिना रिप्लेसमेंट देने, जिले में 17 में 17 थैलेसीमिया मरीज है जिसको हर महीना सरकारी नियमानुसार ब्लड देना, आदिम जनजाति से जुड़ी महिलाओं की डिलीवरी और सड़क दुर्घटना में घायल हुए लोगों की जान बचाने के लिए ब्लड मुहैया कराने से जिले में ब्लड का स्टॉक खत्म हो जाता है.
जागरूकता का आभाव
साहिबगंज में ब्लड डोनेशन को लेकर जागरुकता में कमी भी खून की कमी का एक कारण है. लैब टेक्नीशियन मोहम्मद अजहर ने बताया कि साहिबगंज में हर महीने ब्लड डोनेशन का कैंप लगता तो यह समस्या उत्पन्न नहीं होती. एक साथ कई कैंप लगाने से जिले में ब्लड का स्टॉक होता. उसके मुताबिक सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मिलने पर युवक ब्लड देकर चले जाते हैं . ऐसे में जिला प्रशासन और रेड क्रॉस सोसाइटी को प्रचार-प्रसार पर विशेष ध्यान केंद्रित करने और युवाओं को जागरूक करने की जरूरत है.
खून की कमी से परिजन परेशान
डिलीवरी मरीज के परिजन ने बताया कि बी पॉजिटिव ब्लड मात्र एक यूनिट है. ऐसे में इस ग्रुप के खून की मांग काफी है. हालात ये है कि परिजनों को अपना खून देकर मरीजों का जान बचाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.