रांची: गढ़वा में तीन बच्चों की जान ले चुके आदमखोर तेंदुआ को कोई अगर शिद्दत से तलाश रहा है तो वह हैं शूटर नवाब शफत अली खान. उम्र साठ साल से ज्यादा हो चुकी है. फिर भी कड़ाके की ठंड वाली रात में 3 जनवरी से उस तेंदुए का पीछा कर रहे हैं. अपनी जान जोखिम में डालकर आम लोगों की जान बचाने में जुटे हैं. दूसरी तरफ तेंदुआ भी इनके साथ चोर-पुलिस वाला खेल खेल रहा है.
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पहले भी आ चुके हैं बिहार और झारखंड: साहिबगंज की पहाड़िया जनजाति इन्हें मसीहा मानती है. इसका जवाब जानने के लिए मार्च, 2017 का कैलेंडर खोलना होगा. उस वक्त साहिबगंज के पहाड़ी क्षेत्र से निकला एक मदमस्त हाथी बिहार के भागलपुर स्थित मैदानी इलाके में कोहराम मचा रहा था. पश्चिम बंगाल के बाकुंड़ा से हाथी को खदेड़ने वाली टीम बुलायी गई थी. इस बीच तीन सप्ताह के भीतर उस हाथी ने बिहार में चार लोगों को कुचलकर मार डाला. फिर क्या था, बिहार के तत्कालीन पीसीसीएफ एस.एस.चौधरी ने नवाब शफत अली को बुलावा भेजा. उस दौरान नवाब शफत अली नीलगाय प्रजाति के सांढ़ (लोकल भाषा में घोड़पड़ास) को निशाना बना रहे थे.
साहिबगंज में 11 लोगों की गई थी जान: किसी तरह हाथी को साहिबगंज के पहाड़ी क्षेत्र की तरफ मोड़ने में सफलता मिल गई. तब लगा कि अब जानमाल को कोई क्षति नहीं होगी. लेकिन उस हाथी को जंगल की तरह ले जाते वक्त उसके एग्रेशन का अंदाजा लग चुका था. वह खड़ेड रही टीम पर हमला कर चुका था. लेकिन उस हाथी के जंगल में जाने के बाद लगा कि मामला शांत हो जाएगा. फिर भी नवाब ने झारखंड के तत्कालीन चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन एल.आर.सिंह को बता दिया था कि साहिबगंज डीएफओ को उस हाथी की गतिविधि पर नजर रखना चाहिए. उनका अंदेशा सही निकला. वह हाथी पहाड़िया जनजाति बहुत गांवों की तरफ घूमने लगा. उसने अगस्त के पहले सप्ताह तक साहिबगंज में नौ ग्रामीणों को रौंद चुका था. इससे पहले अप्रैल में बिहार में चार ग्रामीणों की जान ले चुका था.
हाथी ने उल्टा धावा बोला तो फिर क्या हुआ: उस हाथी का आतंक बढ़ता जा रहा था. उसे ट्रैंकोलाइज करने की पहल शुरू की गई. नवाब को सहयोग करने के लिए रांची चिड़ियाघर के सीनियर वेटेनेरियन डॉ अजय को बुलाया गया. तत्कालीन डीएफओ मनीष तिवारी ने भौगोलिक स्थिति बतायी. 7 अगस्त को तूती पहाड़ी के पास हाथी के होने की खबर मिली. पूरी टीम हाथी से करीब 25 मीटर की दूरी पर पहुंचकर झाड़ियों की आड़ से ट्रैंकोलाइज करने की तैयारी करने लगी. इसी बीच हाथी ने धावा बोल दिया. टीम में कोहराम मच गया. कुछ लोग पेड़ पर चढ़ गये. इस बीच वह हाथी नवाब को रौंदने के लिए बढ़ा तो उन्होंने एक के बाद एक दो गोलियां जमीन की तरफ दागी. जिससे पत्थर और मिट्टी के छींटे उस हाथी के पैरों में लगे. इतना होते ही वह मुड़कर घने जंगल में समा गया.