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शूटर नवाब शफत अली का कर्जदार है बिहार और झारखंड, 15 लोगों की जान ले चुके हाथी को किया था ढेर, पढ़े रिपोर्ट

साहिबगंज पहाड़िया समाज शूटर नवाब शफत अली को अपना मसीहा मानता है. साहिबगंज में 2017 में मतवाले हाथी ने 11 लोग की जान ली थी. उस समय नवाब शफत अली ने उस हाथी को मारा था और लोगों को उसके आतंक से निजात दिलवाई थी और तभी से यह समाज इन्हें अपना मसीहा मानता है.

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Published : Jan 20, 2023, 5:40 PM IST

Updated : Jan 20, 2023, 10:11 PM IST

रांची: गढ़वा में तीन बच्चों की जान ले चुके आदमखोर तेंदुआ को कोई अगर शिद्दत से तलाश रहा है तो वह हैं शूटर नवाब शफत अली खान. उम्र साठ साल से ज्यादा हो चुकी है. फिर भी कड़ाके की ठंड वाली रात में 3 जनवरी से उस तेंदुए का पीछा कर रहे हैं. अपनी जान जोखिम में डालकर आम लोगों की जान बचाने में जुटे हैं. दूसरी तरफ तेंदुआ भी इनके साथ चोर-पुलिस वाला खेल खेल रहा है.

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पहले भी आ चुके हैं बिहार और झारखंड: साहिबगंज की पहाड़िया जनजाति इन्हें मसीहा मानती है. इसका जवाब जानने के लिए मार्च, 2017 का कैलेंडर खोलना होगा. उस वक्त साहिबगंज के पहाड़ी क्षेत्र से निकला एक मदमस्त हाथी बिहार के भागलपुर स्थित मैदानी इलाके में कोहराम मचा रहा था. पश्चिम बंगाल के बाकुंड़ा से हाथी को खदेड़ने वाली टीम बुलायी गई थी. इस बीच तीन सप्ताह के भीतर उस हाथी ने बिहार में चार लोगों को कुचलकर मार डाला. फिर क्या था, बिहार के तत्कालीन पीसीसीएफ एस.एस.चौधरी ने नवाब शफत अली को बुलावा भेजा. उस दौरान नवाब शफत अली नीलगाय प्रजाति के सांढ़ (लोकल भाषा में घोड़पड़ास) को निशाना बना रहे थे.

साहिबगंज में 11 लोगों की गई थी जान: किसी तरह हाथी को साहिबगंज के पहाड़ी क्षेत्र की तरफ मोड़ने में सफलता मिल गई. तब लगा कि अब जानमाल को कोई क्षति नहीं होगी. लेकिन उस हाथी को जंगल की तरह ले जाते वक्त उसके एग्रेशन का अंदाजा लग चुका था. वह खड़ेड रही टीम पर हमला कर चुका था. लेकिन उस हाथी के जंगल में जाने के बाद लगा कि मामला शांत हो जाएगा. फिर भी नवाब ने झारखंड के तत्कालीन चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन एल.आर.सिंह को बता दिया था कि साहिबगंज डीएफओ को उस हाथी की गतिविधि पर नजर रखना चाहिए. उनका अंदेशा सही निकला. वह हाथी पहाड़िया जनजाति बहुत गांवों की तरफ घूमने लगा. उसने अगस्त के पहले सप्ताह तक साहिबगंज में नौ ग्रामीणों को रौंद चुका था. इससे पहले अप्रैल में बिहार में चार ग्रामीणों की जान ले चुका था.

हाथी ने उल्टा धावा बोला तो फिर क्या हुआ: उस हाथी का आतंक बढ़ता जा रहा था. उसे ट्रैंकोलाइज करने की पहल शुरू की गई. नवाब को सहयोग करने के लिए रांची चिड़ियाघर के सीनियर वेटेनेरियन डॉ अजय को बुलाया गया. तत्कालीन डीएफओ मनीष तिवारी ने भौगोलिक स्थिति बतायी. 7 अगस्त को तूती पहाड़ी के पास हाथी के होने की खबर मिली. पूरी टीम हाथी से करीब 25 मीटर की दूरी पर पहुंचकर झाड़ियों की आड़ से ट्रैंकोलाइज करने की तैयारी करने लगी. इसी बीच हाथी ने धावा बोल दिया. टीम में कोहराम मच गया. कुछ लोग पेड़ पर चढ़ गये. इस बीच वह हाथी नवाब को रौंदने के लिए बढ़ा तो उन्होंने एक के बाद एक दो गोलियां जमीन की तरफ दागी. जिससे पत्थर और मिट्टी के छींटे उस हाथी के पैरों में लगे. इतना होते ही वह मुड़कर घने जंगल में समा गया.

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टीम भटक गई रास्ता, फिर क्या हुआ: हाथी के हमले के बाद मची अफरा तफरी में टीम जंगल में भटक गई. तीन घंटे तक चलने के बाद पहाड़ी पर नेटवर्क मिला. लेकिन तबतक अंधेरा हो चुका था. उस खौफनाक रात को काटना मुश्किल था. उस दौरान पहाड़ों पर रहने वाले पहाड़िया जनजाति के लोगों ने बहुत मदद की थी. उनके घर भात खाने को मिला था. किसी तरह टीम साहिबगंज लौटी. लेकिन पता चला कि उनके लौटने के तीन दिन के भीतर उस सनकी हाथी ने दो और ग्रामीणों की जान ले ली थी.

9 अगस्त 2017 का बड़ा फैसला: दरअसल, उस सनकी हाथी का उत्पात बढ़ता जा रहा था. उसने साहिबगंज में तीन माह के भीतर 11 लोगों की जान ले ली थी. तब 9 अगस्त 2017 को तत्कालीन मुख्यमंत्री के आदेश पर वन विभाग ने हाथी को मारने का आदेश जारी कर दिया. क्योंकि हाथी ने 19 गांवों में मचा रखा था कोहराम. अब हाथी को ढेर करने की तैयारी की जा चुकी थी. जब उसकी तलाश की जा रही थी, तब तीन ग्रामीण युवक भागते हुए उनके पास पहुंचे. उनपर हाथी ने हमला बोला था.

कैसे मारा गया सनकी हाथी: शूटर नवाब शफत अली अपनी टीम के साथ हाथी के करीब पहुंच चुके थे. उस वक्त उन्होंने डॉक्टर अजय से ट्रैंकोलाइज करने के बिंदु पर चर्चा की. इसी बीच हाथी को उनकी गंध मिल गई. उसने टीम पर धावा बोल दिया. मौत आंख के सामने थी. नवाब ने निशाना साधकर .458 से गोली दाग दी. लेकिन गोली हाथी के बाई आंख के नीचे लगी. वह घुटने पर आ गया. उस वक्त नवाब और हाथी के बीच महज 4 मीटर का फासला था. हाथी अपनी सूंढ से नवाब को लपेटना चाह रहा था. इसी दौरान सिर के बीचों-बीच दूसरी गोली दागी गई. ब्रेन में गोली के इंटर करते ही उसका अंत हो गया.

कौन हैं नवाब शफत अली खान: इनका ताल्लुक हैदराबाद के एक अमीर खानदानी परिवार से है. इनको बिहार और झारखंड के वन विभाग का हर अफसर पहचानता है. जब कोई जानवर इंसानी जिंदगी के लिए खतरा बन जाता है या खुद कभी जानवर की जिंदगी खतरे में आ जाती है तो फिर एक ही नाम पुकारा जाता है वह है "नवाब शफत अली खान". इनकी पहचान कंजरवेसनिस्ट, मान्यता प्राप्त शिकारी, ट्रैंकोलाइजिंग एक्सपर्ट और बिहार वाइल्ड लाइफ बोर्ड के सदस्य के रूप में होती है.

Last Updated : Jan 20, 2023, 10:11 PM IST

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