साहिबगंजःगंगा किनारे बसा साहिबगंज उसकी विरासत को भी संजोए हुए है. जो अपने आप में भारत की परंपरा और प्राचीनता की कहानी है. साहिबगंज के लोग भी गंगा ही की तरह उम्मीदों से भरे हुए हैं. तभी नवरात्रि में पूजा के लिए पंडाल ऐसे सजाए, जैसे कोरोना की मुश्किल कभी आई ही नहीं. अब दिवाली नजदीक है, लोग सबसे बड़े त्योहार को मनाने के लिए उत्साह से भरे हुए हैं. तो कुम्हार इस दिवाली को दीये वाली बनाने में जुट गए हैं.
ये भी पढ़ें-Deepawali 2021 : जानिए मां लक्ष्मी का पूजन मुहूर्त, तारीख और पूजन विधि
इस साल दीये बनाने वालों के चेहरों पर चमक भी है. क्योंकि उन्हें अच्छा कारोबार होने की उम्मीद है. दीये बनाने वाली महिला कारीगर बरमसिया देवी का कहना है कि जब देश के चीन से रिश्ते अच्छे थे तो हमारी मुसीबत थी. बड़े पैमाने पर निर्माण के कारण चीनी सामान हमारे सामानों से सस्ते होते थे और हमारे बाजारों में पट जाते थे. लोग भी उनके सामान ही खरीदते थे, जिससे हमें बड़ा नुकसान होता था. अब चीन से बिगड़े रिश्तों के कारण चीनी सामान से बाजारों के न पटने की संभावना ने हमारे लिए अच्छी कमाई की उम्मीद बंधा दी है.
15 दिन से बना रहे दीये
मिट्टी के दीये बनाने वाले लक्ष्मी पंडित ने बताया कि वे 15 दिनों से दीये, मिट्टी के दूसरे सामान, मटके, सुराही कमंडल आदि बनाने में जुटे हैं, ताकि ग्राहको को अच्छा सामान मिल सके. इधर, लक्ष्मी पंडित की पत्नी का कहना है कि दिवाली में दिन-रात मेहनत करके दीये बनाते हैं.
पूरा परिवार इसी काम में लगा रहता है, लेकिन जब इन दीयों को लेकर बाजार पहुंचते हैं तो ग्राहक चाइनीज लड़ियां और मोमबत्तियां ही लोग पसंद करते हैं. इससे हमारे लिए मुश्किल होती है. लोग थोड़ा हमारे लिए सोचें तो हममें से कई की जिंदगी आसान हो जाए. यह भी कहा कि इस बार चीन का सामान बाजार में कम बिकता है तो उनके लिए साल अच्छा बीतेगा.