साहिबगंजः प्रदेश से लेकर देश तक में शिक्षा का स्तर बढ़ा है, लोगों में जागरूकता आई है पर आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो इलाज के लिए झाड़-फूंक ओझा और बाबा को तवज्जो देकर अपने जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं. साहिबगंज के सदर प्रखंड के कुम्हार टोली मोहल्ला में हर रविवार, मंगलवार को ऐसे ही लोग दूर-दराज से पहुंचते हैं. यहां कुत्ता काटने या किसी और जानवर के काटने के बाद रैबीज के इलाज के लिए टोटके कराते हैं.
बाबा ऐसे करते हैं इलाज
साहिबगंज के कुम्हार टोली मोहल्ला में अधेड़ राजेन्द्र पंडित कई सालों से कुत्ता, बिल्ली या किसी और जानवर के काटने पर रैबीज के प्रभाव से बचने का इलाज करते हैं. इसके लिए बाबा झाड़-फूंक कर पीड़ित को अरवा-चावल देकर मिट्टी की ढंकनी पर फूटने तक गोल-गोल घुमाते हैं. ढंकनी फूट गई तो समझा जाता है कि रैबीज का प्रभाव निकल गया. बाद में सिर पर हाथ रखकर बाबा मंत्र पढ़ते हैं, हालांकि पीड़ितों को कोई जड़ी-बूटी भी खाने को दी जाती है. झाड़-फूंक करने वाले बाबा का कहना है कि उनके यहां रविवार और मंगलवार को रैबीज के इलाज के लिए भागलपुर, गोड्डा, दुमका, पाकुड़, कटिहार, पश्चिम बंगाल तक से लोग आते हैं. बाबा का दावा है कि उनके टोटके और झाड़-फूंक से यहां आने वाला हंस कर जाता है. कई परिवार तो पीढ़ियों से इसी नुस्खे से रैबीज का इलाज कराते हैं.