साहिबगंजः जिला के राजमहल अनुमंडल में एक कटघर गांव है. इस गांव में एक बहुत पुरानी एक तालाब है, जिसमें दैनिक जीवन में उपयोग किये जाने वाले खाद्य पदार्थ, वो सारी चीज इस तालाब में पत्थर के रूप में देखने को मिलता है. जिसमें चावल, मटर, धान, जौ, बजरा का बीज, कलाई, मकई अन्य चीज देखने को मिलती है.
ग्रीन ग्रेन फॉसिल्स के रूप में जाना जाता है
भू-गर्भशास्त्री रंजीत सिंह की मानें तो इस तरह की चीजों को ग्रीन ग्रेन फॉसिल्स के रूप में जाना जाता है. इसको लेकर शोध होना चाहिए ताकि इसके सही समय का अंदाजा लगाया जा सके. साहिबगंज के इस कटघर तालाब को संरक्षित कर दिया जाए तो राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान मिलेगी. राज्य सरकार इस तालाब की घेराबंदी कर पर्यटक के रूप विकसित कर दे तो पर्यटन की अपार संभावना बनेगी. भू-गर्भशास्त्री लंबे अरसे से इस कटघर तालाब को संरक्षित करने की मांग करते आ रहे हैं.
तालाब को लेकर क्या है मान्यता
इस कटघर गांव में एक शिव मंदिर है, इस मंदिर के क्षेत्रफल में ही यह कटघर तालाब आता है. इस शिव मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोगों का कहना है कि पुरातन काल में एक जमींदार हुआ करता था. किसी दिन भिक्षा मांगने एक भिखारी जमींदार के पास आया लेकिन जमींदार ने भिक्षा देने से इनकार कर दिया, इस तरह भिखारी नाराज होकर जमींदार को श्राप दे दिया कि तुम्हारे घर में रखा हुआ सारा अनाज पत्थर के बदल जाएगा और देखते ही देखते जमींदार का सारा खाद्य पदार्थ और अनाज पत्थर में बदल हो गया.
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संरक्षण के लिए फंड की कमी
लोगों की मांग और संरक्षण को लेकर वन प्रमंडल पदाधिकारी ने कहा कि इस कटघर तालाब के लिए अभी तक फंड नहीं मिला है, जैसे ही फंड की प्राप्ति होगी इस तालाब को संरक्षण के लिए काम लगाया जाएगा. निश्चित रूप से यह कटघर तालाब में पाए जाने वाले पत्थर अजूबा है जिसे हम ग्रीन ग्रेन फॉसिल्स के रूप में जानते हैं. इस पर शोध करने के विषय है इस स्थल को पर्यटक रूप में विकसित किया जाए तो रोजगार की अपार संभावना बन सकती है.