साहिबगंज: जिले में भीषण बाढ़ आने से दियारा इलाके का हजारों एकड़ में लगे भदई फसल डूब जाती है, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है. जिला प्रशासन के देख रेख में किसानों के फसल का इंश्योरेंस रांची के एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड से करवाया जाता है, ताकि बाढ़ में यदि भदई फसल डूब जाए तो कंपन्नी की ओर से किसानों को क्षतिपूर्ति राशि मिल सके. किसान लालच में अपनी फसलों का बीमा करवाता हैं, लाखों रुपये कंपन्नी लेकर चली जाती है, लेकिन किसान को समय पर आज तक क्षतिपूर्ति राशि नहीं मिल पाता है.
साहिबगंज में किसानों को नहीं मिला फसल बीमा राशि, जिला प्रशासन पर लगाया घोटाला का आरोप
साहबिगंज में लगभग हर साल बाढ़ आती है, जिससे दियारा इलाके के हजारों एकड़ में लगे भदई फसल बर्बाद हो जाती है. इससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है. किसानों को क्षतिपूर्ति राशि मिल सके इसके लिए एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड से इंश्योरेंस करवाया जाता है, लेकिन कई किसानों को आज तक राशि नहीं मिल पाई पाई है.
किसानों के लगातार आंदोलन के बाबजूद साल 2016 में 2850 कृषकों के लिए 6 करोड़ 90 लाख 60 हजार 486 रुपये जिला प्रशासन को प्राप्त हुआ, लेकिन जिला प्रशासन के ओर से लगभग 3 करोड़ ही क्षतिपूर्ति राशि वितरित की गई. किसान मोर्चा का जिला अध्यक्ष लक्ष्मण यादव ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि लगभग 3 करोड़ वितरण के बाद बाकी राशि किसान को नहीं मिला, जिसके बाद लोकायुक्त, झारखंड सरकार का दरवाजा खटखटाया गया, लोकायुक्त ने जिला प्रशासन को आदेश भी दिया, लेकिन आज तक किसान को लाभ नहीं मिला सका. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन के पास सारा राशि पड़ा हुआ है, उन्होंने जिला प्रशासन पर लगभग 4 करोड़ रुपये नहीं बांटने का गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि किसानों का पैसा जिला प्रशासन गबन करना चाहता है.
इसे भी पढ़ें:- साहिबगंजः गंगा नदी को राजमहल डॉल्फिन क्षेत्र घोषित किए जाने की मांग, जिले को मिलेगी पहचान
जिले के तत्कालीन डीडीसी ने एक जांच कमेटी बनाई थी, जिसमें किसानों के कितने-कितने जमीन हैं और उस जमीन पर लगा फसल डूबा था या नहीं. उन्होंने कमेटी को एक रिपोर्ट देने को कहा था. कमेटी में सदर प्रखंड के बीडीओ प्रतिमा कुमारी शामिल हैं, लेकिन आज तक किसी ने भी रिपोर्ट देना उचित नहीं समझा और ना ही किसानों को क्षतिपूर्ति राशि मिला. जानकारी के अनुसार 2,544 किसान को भुगतान हो चुका है. अभी लगभग 300 किसानों का क्षतिपूर्ति राशि अधर में लटका हुआ है.