साहिबगंजःसाहिबगंज और राजमहल अनुमंडल क्षेत्र के निचली इलाकों में पटसन (पटुवा,जूट) की खेती कई एकड़ में होती है. प्रत्येक वर्ष किसान खेती करके बंगाल ले जाकर बेच देते हैं. वजह है कि बंगाल सरकार इनको अधिक मुनाफा देती है और बड़ा बाजार है जहां अधिक से अधिक जूट की खपत होती है. फिर भी किसानों की जिंदगी बेहतर नहीं हो पाई है.
सियासी अनदेखी के हुए शिकार
प्रत्येक पांच सालों में चुनावी मेला आता है चाहे लोकसभा या विधानसभा या पंचायत चुनाव हो. नेता किसान की समस्या को निदान कर वादा करते है कई कसमें खाते है कि अगर हमारी सत्ता आई तो तमाम दूख दूर कर दूंगा, ऋण माफ कर देंगे, कोल्ड स्टोरेज खुलवा देंगे, जूट मिल खुलवाने का प्रयास करेंगे. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद लोग भूल जाते हैं कि मेनिफेस्टो में क्या कहा गया था.
कारखाना की मांग
आज जिला प्रशासन और राज्य सरकार की अनदेखी की वजह से किसान की स्थिति खराब है सरकार इनकी जरूरत का साधन पर ध्यान नहीं देती है. अगर जिला में जूट मिल रहता और एक समुचित बाजार रहता तो किसानों अपने यहां से जूट बंगाल जाकर नहीं बेचते. इनको अपना यहां हो उचित दाम मिलता तो आने जाने का भाड़ा भी बचता और किसान को अधिक लाभ मिलता जिससे किसान सुख की जिंदगी जी पाते. इन किसानों का कहना है कि कभी भी जिला प्रशासन हम किसानों के बारे में नहीं सोचता, आज साहिबगंज में जूट मिल होता और एक अच्छा बाजार रहता तो हमें बंगाल ले जाकर नहीं बेचना पड़ता है, मजबूरी में बंगाल में अपना पटुआ बेचना पड़ता है.