साहिबगंजः झारखंड का सुदूरवर्ती और पिछड़ा जिला साहिबगंज है. पिछड़ेपन को लेकर केंद्र सरकार ने इसे आकांक्षी जिला घोषित किया है. प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपया जिला प्रशासन को मिलता है ताकि हर क्षेत्र में विकास हो सके. इसी कड़ी में शहर को साफ सुथरा रखने के लिए गली मोहल्लों के साथ चौक चौराहों पर लोहे के चादर का बना कुड़ादान रखा गया था, ताकि शहरवासी कचरा इस कूड़ेदानी में डाल सके, लेकिन महज दो वर्ष में ही यह कूड़ादान कबाड़ हो गया.
साहिबगंजः नगर परिषद का कुड़ादान महज दो साल में बना कबाड़, गुणवत्ता पर उठा सवाल
साहिबगंज में लोग सड़क पर कूड़ा न फेंके इसके लिए बड़े पैमाने पर नगर परिषद ने लोहे के चादर का बना कुड़ादान रखा, लेकिन ये महज दो वर्ष में ही कबाड़ हो गया.
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बृहत पैमाने पर कुड़ेदानी की खरीदारी
नगरपालिका की ओर से टेंडर की प्रकिर्या के तहत बृहत पैमाने पर कुड़ेदानी की खरीदारी हुई. इसे शहर के गली-मोहल्लों और चौक चौराहों पर लगाया गया. ताकि लोग कूड़ा को सड़क पर न फेंके, लेकिन यह महज दो साल में ही कबाड़ हो गया. नगर परिषद की ओर से खरीदे गए इस कुड़ेदानी की खरीदारी पर सवाल उठ रहे हैं. सफाई कर्मियों का कहना है कि यह दो साल भी नहीं चल पाया है. कुछ रिपेयरिंग के लिए गए है, लेकिन अधिकांश खराब हो चुके है.