साहिबगंजःदेश में कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से प्रभावित हुए पोलियो वैक्सीनेशन को एक बार फिर रफ्तार दी जा रही है. इसी कड़ी में कई राज्यों में बच्चों को दो बूंद जिंदगी की पिलाई जा रही है. झारखंड में भी पोलियो वैक्सीनेशन किया गया. बीते दिनों पल्स पोलियो से संबंधित एक तस्वीर काफी चर्चा में रही. इस तस्वीर को पहले तो साहिबगंज का बताया गया लेकिन मामला कुछ और निकला.
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साहिबगंज के डीसी रामनिवास यादव ने 27 सितंबर को ऑफिसियल ट्विटर हैंडल से कुछ तस्वीरें शेयर की. इसमें एक तस्वीर काफी चर्चा का विषय बन गई. इस तस्वीर में बाढ़ के बीच एक पिता अपने दूधमुंहे बच्चे को पतीले में लेकर पल्स पोलियो की वैक्सीन लेने आया था. डीसी के ट्वीट के बाद कई मीडिया हाउस ने भी खबर बनाई और इस कदम की सराहना की. लेकिन बाद में खुलासा हुआ कि ये तस्वीर वास्तव में साहिबगंज की है ही नहीं.
साहिबगंज के डीसी रामनिवास यादव का ट्वीट खेद जताकर हटाया ट्वीट
गलत तस्वीर शेयर होने की जानकारी मिलने के बाद डीसी रामनिवास यादव ने खेद जताया और ट्विटर से ट्वीट को डिलीट कर दिया. इस मुद्दे पर डीसी रामनिवास यादव ने ईटीवी भारत की टीम को फोन पर बताया कि उन्हें तस्वीर के बारे में दूसरे दिन पता चला. उन्हें जानकारी मिली कि वह तस्वीर पश्चिम बंगाल की है. इसके बाद उन्होंने ट्वीट हटा लिया. इसके साथ ही डॉक्टर अमित को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
तस्वीर साभार आनंद बाजार डॉट कॉम, इसी पोर्टल ने तस्वीरों की सीरीज प्रकाशित कर सही स्थान की जानकारी दी. डॉ अमित को शो कॉज
दरअसल, डॉक्टर अमित ने अधिकारियों के एक वॉट्सअप ग्रुप में पल्स पोलियो अभियान की तस्वीर भेजी थी. उसी वॉट्सअप ग्रुप से तस्वीर लेकर डीसी रामनिवास यादव ने ट्वीट किया और फिर वह तस्वीर मीडिया की सुर्खियां बन गई. इस गड़बड़ी का पता चलते ही डीसी रामनिवास यादव ने कार्रवाई की है. डॉ. अमित को कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद डीसी छुट्टी पर राजस्थान चले गए हैं.
क्या है पूरा मामला
साहिबगंज में पोलियो वैक्सीनेशन के दौरान 27 सितंबर को एक तस्वीर सामने आई. इस तस्वीर को जिले के बाढ़ प्रभावित मंडरो प्रखंड के सिरसा गांव का बताया गया. प्रशासन की ओर से दावा किया गया कि तमाम कठिनाई के बीच स्वास्थ्य विभाग की टीम दूरदराज में पहुंचकर टीकाकरण कर रही है. तस्वीर में एक पिता अपने बच्चे को पतीले में रखकर बाढ़ में दूर गांव से सिर पर ढोकर पोलियो की खुराक दिलवाने लाया था. लेकिन हकीकत में वह तस्वीर पश्चिम बंगाल के सुंदर वन की थी, जिसे साहिबगंज का बताकर क्रेडिट लेने की कोशिश की गई.