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कोरोना से अनाथ बच्चों को सरकार देना चाहती है संरक्षण, जानिए कितना सुरक्षित है साहिबगंज का बाल गृह

कोरोना के कारण (corona pandemic) अनाथ हुए बच्चों के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है. लेकिन साहिबगंज में बाल गृह सरकार के इन प्रयासों पर पानी फेर रहा है. दरअसल जिले के बाल गृह में बच्चे सुरक्षित नहीं है. उन्हें भोजन भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो रहा. वहीं बालिका के लिए जिले में बालिका गृह तक उपलब्ध नहीं है.

condition of children home and child lines in sahibganj
बाल गृह या चाइल्ड लाइन

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Published : Jun 6, 2021, 10:54 AM IST

साहिबगंजः झारखंड सरकार फिट फैसिलिटी (fit facility) के तहत ऐसे बच्चों को संरक्षण देना चाहती है. जिनके माता-पिता की कोरोना महामारी (corona pandemic) में मृत्यु हो गई हो या इनमें से किसी एक मृत्यु कोरोना से हुई हो. ऐसे बच्चों को फिट फैसिलिटी के तहत सरकार अस्थायी आश्रय देगी और संरक्षण में रखकर सरकारों की कल्याणकारी योजना (welfare scheme) से लाभान्वित करेगी. जिला बाल संरक्षण अधिकारी के अनुसार मार्च 2020 से अभी तक जिला में चार ऐसे परिवार मिले हैं जिनमें बच्चों के पिता का साया इस कोरोना मारामारी ने छीन लिया है. इन 4 परिवारों में 7 बच्चे नाबालिग पाए गए हैं, जिसमें पांच लड़के और दो लड़की हैं.

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सरकारी आवासीय क्वार्टर में चल रहा बाल गृह
साहिबगंज जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी के अनुसार इस तरह के बच्चे को फिट फैसिलिटी (fit facility) के तहत जरूरत पड़ने पर रखा जा सकता है. कहा कि इस तरह के बच्चों को खासकर बालक को बाल गृह साहिबगंज में रखा जाएगा. वहीं बालिका गृह साहिबगंज में नहीं है, ऐसी परिस्थिति में लड़की को चाइल्ड लाइन (child lines) के पास रखा जा सकता है. इस संदर्भ में ईटीवी भारत पूरी पुष्टि के साथ जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी और जिला प्रशासन को बताना चाहता है कि बाल गृह साहिबगंज में बच्चे खुद सुरक्षित नहीं है, भरपेट भोजन नहीं मिलता है. वहीं बाल गृह सरकारी आवासीय क्वार्टर में चल रहा है. बालिका को बाल गृह में रखने का नियम नहीं है, चुकी जिला में बालिका गृह नहीं है. ऐसी स्थिति में चाइल्ड लाइन में रखने की बात की जा रही.

साहिबगंज जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी और जिला प्रशासन को इस दिशा में अच्छी तरह से जांच पड़ताल करने की जरूरत है कि क्या इन दोनों जगह पर बच्चे महफूज रहेंगे या नहीं. हालांकि डीसीपीयू पूनम कुमारी ने बताया कि इस तरह के बच्चों को स्पॉन्सरशिप योजना के तहत जोड़ा जाएगा और उन्हें 2 हजार रुपये प्रति महीना 3 सालों तक दिया जाएगा. यह प्रक्रिया चल रही है.

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