साहिबगंज: मनरेगा से पहली बार बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत 125 एकड़ बंजर जमीन पर बांस के पौधे लगाए जा रहे हैं. जिसमें रांची के वन उत्पादक संस्थान से करीब चार हजार बांस मंगवाए गए हैं. बांस की खेती युद्धस्तर पर इसलिए की जा रही है क्योंकि बरसात का मौसम खत्म होने की कगार पर है. अभी तक 12 से 13 एकड़ की जमीन में बांस के पौधे लगाए जा चुके हैं.
साहिबगंज में मनरेगा के तहत 125 एकड़ बंजर जमीन पर लगाए जाएंगे बांस के पौधे, लोगों को मिलेगा रोजगार - साहिबगंज में बांस की खेती
साहिबगंज में मनरेगा से बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत पूरे 9 सौ एकड़ में से 125 एकड़ में बांस के पौधे लगाए जा रहे हैं. बाकी बची जमीन पर आम, अमरुद सहित अन्य पौधों की बागवानी की जा रही है. 125 acres of barren land in Sahibganj
Published : Oct 4, 2023, 11:24 AM IST
सरकार ने योजना के तहत लक्ष्य को दोगुना कर विभाग को वित्तीय वर्ष 2023-2024 में जिला प्रशासन को 400 एकड़ में बागवानी लगाने का काम दिया था. अब इसमें 500 एकड़ को जोड़ते हुए 900 एकड़ कर दिया गया है. विभाग 125 एकड़ पर बांस की खेती कर रहा है, जबकि शेष पर आम, अमरुद सहित अन्य पौधों का बागवानी की जा रही है.
आपको बता दें कि एक एकड़ का खर्च तीन लाख रुपए के लगभग आता है. गड्ढा खोदने से लेकर खाद, पौधा, सिंचाई तक करीब इतने ही पैसों में पांच साल तक देखरेख की जाती है. उसके बाद यह किसान के हवाले कर दिया जाता है ताकि वो अपना जीविकोपार्जन कर सके. बांस की खेती के लिए आधा एकड़ से लेकर 1.5 एकड़ तक जमीन होना जरूरी है. हालांकि आदिवासी क्षेत्रों में बांस बहुत अधिक संख्या में पाया जाता है लेकिन उन्हें इसकी सही कीमत नहीं मिलती.
क्या कहा डीडीसी ने:डीडीसी ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि साहिबगंज में बहुतायत संख्या में बांस की खेती होती है, लेकिन उन्नत तरीके से यहां के किसान खेती नहीं कर पाते. जिले में पहली बार उन्नत तरीके से खेती करने का प्रयास किया जा रहा है. यदि यह सफल रहा तो आने वाले समय में और भी अधिक संख्या में खेती की जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि साहिबगंज में बांस की खपत अधिक है. यहां के बेरोजगार युवाओं को रोजगार से भी जोड़ा जाएगा.