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राजमहल सांसद विजय हांसदा के 'आदर्श' गांव का हाल, झरने के पानी पर टिकी जिंदगी - साहिबगंज

योजनाएं बनती हैं, लेकिन कागजों से धरातल पर उतरने में उसे काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है. कुछ ऐसी हालत एक सांसद आदर्श ग्राम की है.

देखिए स्पेशल स्टोरी

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Published : Mar 28, 2019, 3:28 PM IST

साहिबगंजः एनडीए सरकार ने एक योजना बनाई प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना. जिसके तहत हर जनप्रतिनिधि को एक गांव को गोद लेकर उसका विकास करना था. सभी सांसदों ने इसका स्वागत किया. कई गांव गोद लिए गए. तो आइए जानते हैं राजमहल सांसद विजय थॉमस हांसदा के गोद लिए गांव का हाल.

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राजमहल सांसद ने पतना प्रखंड के तालझारी पंचायत के सभी गांव को गोद लिया था. इन गांवों में सिर्फ आदिम जनजाति समुदाय के लोग रहते हैं. जब सांसद और जिला प्रशासन द्वारा इस सुदूरवर्ती गांव में पहुचकर घोषणा की गई थी, तो यहां रहने वाले लोगों में आशा जगी थी कि उनके गांव में बच्चों की पढ़ाई, बिजली, पानी, स्वास्थ्य से संबंधित व्यवस्था मुहैया कराई जाएगी.

घोषणा के बाद दिन से सप्ताह, महीना और सालों बीत गए. सांसद महोदय का कार्यकाल खत्म हो गया. लेकिन इस आदर्श गांव में कुछ भी पहल नहीं हुआ. जैसा पहले गांव का रहन सहन आदिम युग में था, आज भी स्थिति ज्यों का त्यों बरकरार है.

आज भी ग्रामीण पहाड़ी झरना के पानी पर निर्भर हैं. एक गढ्ढा बनाकर पानी को जमा करते हैं. ग्रामीण इसी पानी में नहाते हैं, इसी में बर्तन धोते हैं और इसी पानी को पीने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं. इस आदर्श गांव तालझारी पंचायत में बिजली के खंभे दिखते तो हैं, लेकिन ट्रांफॉर्मर और बिजली के तार गायब हैं. उपस्वास्थ्य केंद है तो डॉक्टर और नर्स गायब हैं.

इस आदर्श गांव में एक स्कूल है, वह भी ढह गया गया है. इन सब बातों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां के लोग आज भी किस तरह से अपना जीवन यापन कर रहे होंगे. राजमहल लोकसभा सांसद का गोद लिया हुआ तालझारी पंचायत हवा हवाई बनकर रह गया.

ग्रामीणों का कहना है कि सांसद ने इस पंचायत को गोद लिया था. लेकिन आज तक सांसद घूमने के ख्याल से भी नहीं आए. लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं और कोई दूसरा कोई विकल्प नहीं है. गर्मी में झरने से पानी नहीं आता है तो स्नान करना दूर पीने का पानी भी 5 किमी दूर से लाना पड़ता है.

सांसद विजय हांसदा ने इस हालत के लिए केंद्र और राज्य सरकार को जमकर कोसा. कहा कि प्रधनमंत्री की सोच अच्छी थी कि हर एक सांसद एक गांव, एक पंचायत को गोद ले और इस गांव को आदर्श गांव बनाए. सांसद ने कहा कि कई बार संसद में इस बात को रखा, साथ ही झारखंड के मुंख्यमंत्री से इस समस्या को लेकर मिला. लेकिन राज्य से केंद्र तक हमारी बातों की अवहेलना की गई. उन्होंने कहा कि फंड मिलता तो विकास क्यों नहीं होता. जिला प्रशासन ने भी इस दिशा में कारगर पहल नहीं की. आखिर सांसद प्रयास ही न कर सकता है.

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