साहिबगंज: अंधविश्वास और आडंबर की जड़ें समाज में इतनी गहरी हैं कि अपने कलेजे के टुकड़े को मौत के मुंह से निकालने के लिए भी लोग ओझा गुनी के चक्कर में पड़ जाते हैं. ऐसी ही घटना साहिबगंज के सुदूर गांव में देखने को मिली. जहां बच्चे को सांप ने काट लिया, लेकिन परिजन इलाज कराने के बजाए झाड़ फूंक कराते रह गए.
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राजमहल थाना क्षेत्र के सरकंडा गांव के 12 वर्षीय मुन्ना कुमार को सांप ने काट लिया. इसके बाद परिजन उसे अस्पताल के बदले ओझा गुनी के पास झाड़ फूंक के लिए ले गये. इस बीच बालक मौत से जूझ रहा था और उसने अपने इलाज के लिए माता पिता से गुहार लगाई. लेकिन परिजनों ने उसे डांट कर सुला दिया और कहा कि झाड़ फूंक से बाबा सब ठीक कर देंगे.
घंटों चलता रहा आडंबर का खेलः इधर ओझा ने अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए बच्चे के सारे शरीर पर सबसे पहले सरसों का तेल लगाया. इसके बाद अपने हाथों को गर्म कर बच्चे के शरीर पर लगातार मलता रहा. शरीर से सांप का जहर निकालने की ये प्रक्रिया लगातार चलती रही. इस बीच अंधविश्वास में जकड़े परिजन और गांव के लोग मुन्ना की मौत का तमाशा देखते रहे. बाबा जब झाड़ फूंक कर रहा था तब तक मुन्ना कुमार जिंदा था.
झाड़-फूंक में गयी जानः बच्चे की इस आखिरी इल्तजा को ठुकरा कर उसे जमीन पर लिटाकर घंटों जादू टोना और आडंबर का खेल चलता रहा. इस बीच बच्चा ना जाने कब मौत की आगोश में समा गया किसी को पता नहीं चला, अंत में परिजन हार मानकर उसे राजमहल अनुमंडल अस्पताल लेकर गए, जहां डाक्टर्स ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया.
क्या है मामलाः राजमहल थाना के तालझारी अंतर्गत सरकंडा गांव में गुरुवार रात को घर में सो रहे एक 12 वर्षीय बालक (पिता राजकुमार मंडल) को सांप ने काट लिया. इस घटना के बारे में मुन्ना कुमार के मामा ने बताया कि देर रात मुन्ना अपने कमरे में सोया हुआ था. कमरे में मौजूद एक संकरे रास्ते जहरीले सांप ने प्रवेश किया और उसके भांजे मुन्ना को काट लिया. जिसके बाद मुन्ना चीखते चिल्लाते हुए शोर मचाने लगा. चीखने चिल्लाने की आवाज सुनकर घर वाले जाग गए और देखा तो रात में कुछ पता नहीं चला. परिजन को लगा कि किसी कीड़े ने काट लिया है और उसे वापस सुला दिया. लेकिन फिर भी बालक रोने लगा तो परिजनों को आभास हुआ कि बच्चे को सांप ने काटा है. लेकिन अंधविश्वास की जद में आकर माता पिता ने अपने कलेजे के टुकड़े को गंवा दिया. अगर समय रहते अभिभावक रात में ही अस्पताल लेकर चले गए होते तो शायद बच्चे की जान बच सकती थी.