रांचीः राजनीतिक पार्टियां सत्ता में आने के लिए चुनाव के समय कई तरह के वादे जनता से करते है और फिर सत्ता मिल जाने के बाद उन वायदों का क्या हाल होता है. इसका उदाहरण है झारखंड के युवाओं से किए झारखंड मुक्ति मोर्चा, राजद और कांग्रेस के वादे. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में विपक्ष ने बेरोजगारी को बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाया था और तीनों दलों ने सत्ता में आने के बाद बेरोजगार युवाओं को सुखद भविष्य देने के वादे किए थे. हर घर से एक व्यक्ति को नौकरी, नौकरी नहीं मिलने तक बेरोजगारी भत्ता देने, राज्य में अनुबंध और थर्ड पार्टी नौकरी को समाप्त कर स्थायी नौकरी सरीखे वादे जनता से कर झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन ने रघुवर दास को हराकर सत्ता पाई थी.
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हेमंत सोरेन की नेतृत्व वाली सरकार का लगभग आधा कार्यकाल पूरा होने वाला है. हर घर से एक व्यक्ति को नौकरी की बात छोड़िए सरकार अलग अलग विभागों में बड़ी संख्या में खाली सृजित पदों को भी नहीं भर पाई है. हर बार नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की जाती है परंतु युवाओं को रोजगार नहीं मिलता, बेरोजगारी भत्ता की तो बात ही मत कीजिये. झारखंड में सत्ताधारी दलों के घोषणापत्र में रोजगार का वादा को पूरा करने की मांग युवा लगातार कर रहे हैं.
सत्ताधारी दलों ने वर्ष 2019 में युवाओं से क्या क्या वादे किएः 2019 के विधानसभा चुनाव में 30 विधानसभा सीट जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरे झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने घोषणा पत्र को निश्चय पत्र के रूप में जारी किया था. जिसमें उसने सरकार गठन के दो साल के अंदर सभी खाली पड़े सरकारी पदों को भरने, नौकरी नहीं मिलने पर स्नातक पास बेरोजगार को 5000 रुपये और स्नातकोत्तर को 7000 रुपये देने और हर पंचायत में पंचायती राज की योजनाओं से युवाओं को जोड़ने का वादा था. झामुमो से इन वायदों के पूरा होने की उम्मीद में युवा ढाई साल से इंतजार कर रहे हैं.
इसी तरह लालू प्रसाद की पार्टी राजद ने भी सत्ता में आने पर युवाओं के लिए कुछ खास वादे किए थे. राजद ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में झारखंड के सत्ता में आने पर राज्य में सर्वेक्षण कराकर प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने या स्वनियोजन का अवसर देने का वादा किया था.
सत्ताधारी गठबंधन की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने अपने 2019 की चुनावी घोषणा पत्र में रोजगार को लेकर कई वादे किए. जिसमें सरकार बनने पर छह महीने के अंदर सभी खाली पदों को भरने, हर परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने और जब तक नौकरी नहीं मिल जाती तब तक बेरोजगारी भत्ता देने, आर्थिक रूप से कमजोर बेरोजगार युवाओं को 100 दिन की रोजगार की गारंटी जैसी बात कही गयी थी. लेकिन ढाई वर्ष होने को है और तीनों सत्ताधारी दल उन वादों को पूरा करने में फेल रही है.
रोजगार के लिए सड़क पर युवा, वादा निभाने की गुहारः 2019 में लोक लुभावन वादों के बल पर महागठबंधन सत्ता में आ भी गयी. लेकिन शायद वो वादे याद नहीं रहे जो उन्होंने राज्य के युवाओं से किया था. बेरोजगार, सरकार से अपना वादा निभाने की मांग कर रहे हैं तो सत्ताधारी दल के नेता धैर्य और संयम रखने की सलाह युवाओं को दे रहे हैं. हद तो यह है कि हेमंत है तो हिम्मत है का नारा देकर सबसे बड़ा राजनीतिक दल बना झामुमो अब तक युवाओं को रोजगार देने में नाकाम रही है.