रांची:2021 को हेमंत सरकार ने रोजगार वर्ष घोषित कर रखा है लेकिन इसके बावजूद बेरोजगारों की परेशानी कम नहीं हो रही है. एक तरफ सरकारी विभागों में लाखों पद खाली हैं, वहीं दूसरी तरफ युवा नौकरी की तलाश में भटक रहे हैं. झारखंड में बेरोजगारी किस कदर है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नियोजनालय में सात लाख से अधिक युवाओं ने नौकरी पाने के लिए निबंधन करा रखा है.
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5.25 लाख पद सृजित, इसमें 3.29 लाख पद खाली
राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में कुल 5.25 लाख पद सृजित हैं. इसमें 3.29 लाख पद खाली हैं. आधे से अधिक पद खाली पड़े हैं. इतनी संख्या में पद खाली होने के चलते सरकारी कामकाज बुरी तरह प्रभावित है. सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों पर काम का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य के गृह, कारागार और आपदा प्रबंधन विभाग में ही 73,938 पद रिक्त हैं. स्वीकृत पदों की संख्या 1,51,407 है. शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास जैसे विभागों में भी ऐसी ही स्थिति है.
कोरोना का बहाना बना रही सरकार
रोजगार वर्ष में सरकारी नौकरी पाने की आस लगाए युवाओं को अब तक निराशा हाथ लगी है. जेपीएससी और जेएसएससी के माध्यम से पूर्व में विज्ञापित तमाम परीक्षाएं फिलहाल कोरोना के कारण लटकी हुई हैं. सरकार नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी न आने के पीछे कोरोना को कारण मान रही है.
सरकार की बेरुखी से नाराज छात्र इसे बहाना मान रहे हैं. छात्रों का कहना है कि अगर सरकार की मंशा साफ होती तो कम से कम विज्ञापन जारी कर आवेदन मंगाये जा सकते थे. उम्र बढ़ने से योग्यता खत्म हो जाएगी.
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का कहना है कि सरकार खाली पदों को भरने के लिए तैयार है. स्वास्थ्य विभाग में स्थाई नियुक्ति होने तक अनुबंध पर एएनएम, जीएनएम, टेक्निकल स्टॉफ और डॉक्टरों की नियुक्ति की जायेगी. रोजगार वर्ष घोषित करने के बाद भी जब ये हाल तो सरकार की मंशा पर सवाल उठना लाजिमी है. अब तो कोरोना के केस भी कम हो रहे हैं. सरकार को जरूरत है इस पर तुरंत एक्शन लेने की ताकि युवाओं का भरोसा न टूटे.