रांचीः यास तूफान (yaas cyclone) ने किसानों पर कहर बरसा दी है. 48 घंटों की बारिश से खेतों में तैयार फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई. जिससे किसानों को लाखों का नुकसान हुआ है. अच्छी पैदावार की उम्मीद लगाकर किसान अपने खेतों पर फसल लगाते हैं. ताकि उत्पादित फसल को अच्छे मुनाफा पर बेचा जा सके, लेकिन जब मौसम की मार से फसल बर्बाद हो जाती है तो किसानों की सारे उम्मीदों पर पानी फिर जाता है. मौजूदा समय में भी कुछ ऐसा ही हुआ. यास तूफान (yaas cyclone) ने किसानों पर इस कदर कहर बरपाया की तैयार फसल खेतों में ही बर्बाद हो गई.
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फसल बर्बाद होने से किसान चिंतित
किसी भी फसल को तैयार होने में 4 माह का वक्त लगता है. इस दौरान किसान दिन रात मेहनत कर फसल को तैयार करते हैं. मौजूदा समय में किसान अपने खेतों पर भिंडी, कद्दू, मिर्चा, गोभी जैसे अनेकों हरी सब्जियां लगा रखे हैं. जो पूरी तरह से तैयार हो गई है. किसान महज कुछ दिनों में इसकी कटाई शुरू करने वाले थे. लेकिन बिन मौसम बारिश ने इन्हें एक मौका नहीं दिया. आलम यह हुआ कि सारी तैयार फसल खेतों में ही बर्बाद हो गई. इससे लागत और मेहनताना दोनों 48 घंटों की हुई बारिश में डूब गई. हरी सब्जियों की फसल बर्बाद होने से किसानों को इस बात की भी चिंता सताने लगी है कि अगली फसल धान की बुवाई कैसे करेंगे.
राज्य सरकार से मुआवजा देने की गुहार
किसान के एक फसल की आमदनी दूसरी फसल की पूंजी होती है. महज कुछ दिनों बाद ही खरीफ फसल धान की बुवाई शुरू हो जाएगी. जिसकी खेती के लिए किसानों के पास पूंजी नहीं रह गई है. इसे लेकर किसान राज्य सरकार से मुआवजा देने की गुहार लगा रहे हैं. फसल बर्बाद होने का खामियाजा किसान तो भुगत ही रहे हैं, लेकिन इसका दूरगामी प्रभाव आम जनों पर भी पड़ेगा. दरअसल आम लोगों की मांग को जब स्थानीय किसानों की ओर से पूर्ति होती है तो उस समय सब्जियों के दाम सामान्य होते है. लेकिन जब दूसरे जिला और राज्य से मंगाकर पूर्ति की जाएगी तो उस परिस्तिथि में महंगाई बढ़ना तय है.