रांचीःआज शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (Sixth Day Of Navratri) है. इस दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही शुभ और पवित्र दिन माना जाता है. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी की पूजा विधि-विधान के अनुसार करने से शक्ति, सफलता और प्रसिद्धि का वरदान प्राप्त होता है.
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नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है. मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष इन चारों फलों की प्राप्ति होती है. वह इस लोग में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है. इनकी पूजा से सभी रोग, भय आदि दूर हो जाते है. मां कात्यायनी की कृपा से शादी में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं और बृहस्पति शादी के योग भी बनते हैं. इनकी पूजा से वैवाहिक जीवन भी अच्छा रहता है.
मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत दिव्य और स्वर्ण के समान चमकीला होता है. माता सिंह पर विराजमान रहती हैं, उनकी चार भुजाएं हैं. मां अपनी एक हाथ अभय मुद्रा, दूसरा हाथ वर मुद्रा, तीसरे हाथ में तलवार और चौथे हाथ में कमल का फूल धारण करती हैं. साथ ही दूसरे हाथों में वरमुद्रा और अभयमुद्रा है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा का यह स्वरूप अत्यंत दयालु और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला है.
माता ने किया था महिषासुर का वध: कहा जाता है कि मां कात्यायनी ने महिषासुर नाम के असुर का वध किया था. जिस कारण मां कात्यायनी को दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है. माना जाता है कि महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति मां दुर्गा ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया और उनका कात्यायनी नाम पड़ा. मां कात्यायनी देवी का रूप बहुत आकर्षक है.
मां कात्यायनी की पूजन विधि:मां कत्यायनी को लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करना चाहिए. नवरात्रि के छठे दिन सबसे पहले कलश की पूजन करें. इसके बाद मां दुर्गा और उनके स्वरूप मां कत्यायनी की पूजा करें. पूजा विधि की बात करें तो पूजन के लिए पहले मां का ध्यान करते हुए एक फूल हाथ में लें. मां को फूल अर्पित करने के बाद मां को कुमकुम, अक्षत, फूल आदि चढ़ाने के बाद सोलह श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाएं. छठे दिन देवी कात्यायनी को पीले रंग से सजाना चाहिए. इसके बाद मां को शहद का भोग लगाएं. मां को भोग लगाने के बाद इसी शहद से बने प्रसाद को ग्रहण करना शुभ माना गया है. इसके बाद जल अर्पित करें और दीपक-धूप जलाकर मां के मंत्र का जाप करें. इसके साथ ही दुर्गा चालीसा का पाठ भी जरूर करें.
इस मंत्र से करें मां का पूजन