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World Tribal Day: आदिवासी जनगणना में अलग कॉलम की कर रहे मांग, उठा सरना धर्म कोड का मुद्दा - आदिवसी धर्म कोड की मांग

आज विश्व आदिवासी दिवस है. झारखंड में एक बार फिर से आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड और जनगणना में अलग कॉलम की मांग उठी है. इसके पीछे दलील यही है कि जब अंग्रेजों के जमाने में आदिवासियों के लिए अलग कॉलम दिया गया था तो ऐसी व्यवस्था को फिर से बहाल किया जाए.

Tribals in Jharkhand demanding separate column in census
Tribals in Jharkhand demanding separate column in census

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Published : Aug 8, 2021, 10:37 PM IST

Updated : Aug 9, 2021, 11:46 AM IST

रांचीः विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर एक बार फिर धर्म कोर्ड चर्चा में है. आदिवासियों का कहना है कि जब अंग्रेजी शासन काल में अलग कॉलम दिया गया था तो आजाद भारत में भी आदिवासियों के लिए कॉलम होना चाहिए. इस मौके पर भले ही बड़े आयोजन ना हो लेकिन उनकी मांग का शोर पुरजोर होने के आसार हैं.

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पूरी दुनिया में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इसके लिए आदिवासी समाज ने तैयारियां भी शुरू कर दी है. विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर तमाम आदिवासियों संगठनों के द्वारा आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड यानी सरना धर्म कोड की मांग को लेकर जोरों से आवाज उठेगी. लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के कारण बड़े सामाजिक आयोजन नहीं हो पाएगा.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

झारखंड में इस बार विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर अलग धर्म कोड की मांग उठेगी. क्योंकि लंबे समय से झारखंड के आदिवासियों के द्वारा संघर्ष किया जा रहा है. आदिवासियों को एक अलग पहचान मिल सके, जिससे उनके समुदाय का विकास हो. इसके अलावा जनगणना प्रपत्र में अलग कॉलम की भी मांग है. इसको लेकर दलील है कि अंग्रेजों के शासन काल में आदिवासियों के उद्धार और विकास के लिए जनगणना में अलग कॉलम निहित किया गया था. लेकिन आजाद भारत में आदिवासियों के लिए कोई भी कॉलम नहीं रखा गया है.

आदिवासी समुदाय को आजाद भारत से पूर्व कहीं ना कहीं आदिवासियों के नाम पर ही जनगणना में स्थान दिया गया है. केंद्रीय धुमकुड़िया समिति के अध्यक्ष की मानें तो आदिवासी पूरे भारतवर्ष में रहने वाले आदिवासियों का बोध किया जाता है. इसलिए सभी आदिवासियों के लिए आदिवासी धर्म कोर्ड की मांग बेहद जरूरी है.

आदिवासी समाज से जुड़े लोगों का कहना है कि जनगणना कॉलम में पूरे भारतवर्ष में आदिवासी अनुसूचित जनजाति के लिए आदिवासी धर्म के नाम से धर्म कोड आवंटित किया जाएं. जिससे हमारी धार्मिक पहचान भी बने रहे और आदिवासियों के लिए अलग से बजट तैयार हो सके. केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि लंबे समय से आदिवासी धर्म कोड जानी सरना धर्म कोड की मांग उठ रही है. राज्य सरकार ने धर्म कोड का प्रस्ताव झारखंड विधानसभा से पारित कर केंद्र सरकार को भेज दिया है. केंद्र सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.

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9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में पहचान मिली है. इस दिन सयुक्त राष्ट्र संघ ने आदिवासियों के हितों के मद्देनजर एक कार्य दल गठित किया था. जिसकी बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई थी. जिसके बाद से ही यूएनओ (UNO) ने अपने सदस्य देशों को प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाने का घोषणा की. जिसके बाद दुनियाभर में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन आदिवासी संगठन अपने-अपने अधिकार को लेकर आवाज बुलंद करते हैं और सरकार की ओर अपनी और ध्यान आकर्षित करते हैं.

भारतवर्ष में प्रथम जनगणना 1871 में प्रारंभ हुई थी, तब से लगातार प्रत्येक 10 वर्ष में जनगणना होती है. अंग्रेजी शासनकाल में आदिवासियों को जनगणना में किस नाम से दर्ज किया गया था, इसका विवरण इस प्रकार है.

क्र. जनगणना वर्ष संबोधन कॉलम क्र. जनगणना वर्ष संबोधन कॉलम
1. 1871 आदिवासी Aborigines 5. 1911 जनजाति प्रकृतिवाद अर्थात आदिवासी धरम Tribal Religion
2. 1881 आदि आदिवासी Aboriginal 6. 1921 पहाड़ी एवं वन्य जनजाति Hills & forest Tribal
3. 1891 प्रकृतिवाद Animist 7. 1931 आदिम जनजाति Primitive Tribal
4. 1901 आदिवासी प्रकृतिवाद Tribal Animist 8. 1941 आदिवासी Tribal


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आदिवासियों के सरना आदिवसी धर्म कोड को लेकर उठ रही मांग को लेकर जब रामदयाल मुंडा शोध संस्थान से बातचीत की गई तो संस्था के निदेशक ने कहा कि भारतवर्ष में 650 से अधिक जनजातीय समुदाय है. पूरे भारतवर्ष में 7 से 8 फीसदी इनकी आबादी है. इस लिहाज से इन्हें चिन्हित कर एक अलग मंत्रालय बनाया जा सकता है. जिससे इनके विकास का एक माध्यम बन सके.

रामदयाल मुंडा शोध संस्थान इसको लेकर लगातार शोध कर रही है और आदिवासी धर्म कोड को लेकर उठ रही मांग को लेकर आदिवासियों से जुड़े शिक्षाविद जानकारों मंतव्य लिया जा रहा है. विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर भी विभिन्न क्षेत्र से जुड़े लोगों की राय ली जाएगी. आखिर किस तरह अलग धर्म कोड आदिवासियों के लिए हितकर साबित होगा. हालांकि झारखंड विधानसभा से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र में भेज दिया गया, अब केंद्र सरकार इस पर अंतिम मुहर लगाएगी.

Last Updated : Aug 9, 2021, 11:46 AM IST

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