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रांची में महिलाओं पर अंधविश्वास हावी, कोरोना भगाने के लिए कर रहीं 'भौजी साड़ी' पूजा

पूरे देश समेत झारखंड में कोरोना का प्रकोप बढ़ते जा रहा है. इसे रोकने के लिए गांव की महिलाएं अंधविश्वास का भी सहारा ले रही है. रांची के पिठोरिया थाना क्षेत्र के आस-पास के गांव में कोरोना को भगाने के लिए महिलाएं अपनी ननद की ओर से दी गई भौजी साड़ी पहनकर पूजा कर रही हैं. पूजा-पाठ पहान के ओर से संपन्न कराया जा रहा है.

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भौजी साड़ी पूजा

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Published : Oct 4, 2020, 5:40 PM IST

रांची: कोरोना संक्रमण के बीच अंधविश्वास की एक कुप्रथा तेजी से पांव पसार रही है. भौजी साड़ी प्रथा नाम के इस चलन को समाज के महिलाएं अपना रही हैं. इस महामारी को रोकने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनने के अलावा कई तरह के सावधानी बरतने की अपील की जा रही है. वहीं कई जगहों में सरकार के गाइडलाइन और मेडिकल सुविधाओं के साथ-साथ लोग अंधविश्वास का सहारा ले रहे हैं.

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राजधानी रांची के पिठोरिया थाना क्षेत्र के आस-पास के गांव में कोरोना को भगाने के लिए अंधविश्वास का अनोखा रूप देखने को मिल रहा है. कोरोना महामारी से निजात पाने के लिए महिलाएं अपनी ननद की ओर से दी गई भौजी साड़ी पहनकर पूजा कर रही है और कोरोना भगाने के लिए मन्नत मांग रही है. राजधानी में यह पूजा खूब जोरों से चल रही है. कोरोना महामारी से निजात पाने के लिए पिठोरिया थाना क्षेत्र की महिलाओं ने सूर्य की उपासना की. इलाके में करीब 500 से ज्यादा महिलाओं ने रविवार को पूजा पाठ किया. यह पूजा छठ के अनुरूप ही किसी नदी या तालाब में जाकर किया गया. उसके बाद फिर गांव के मडई में पूजा संपन्न कराया गया. पूजा कर रही महिलाओं ने कहा कि ननंद की ओर से दी गई साड़ी को पहनकर पूजा अर्चना की जा रही है और इस पूजा से कोरोना बीमारी खत्म होगी.

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पूजा-पाठ पहान के ओर से संपन्न कराया जा रहा है. पहान ने कहा कि इस पूजा का एक मकसद ननंद भौजी के बीच खराब रिश्ते को ठीक भी करना है और यह प्रथा सालों से चली आ रही है, कोरोना काल में गांव को बचाए रखें इसको लेकर यह पूजा किया जा रहा है, क्योंकि धरती की पूजा हो रही है, कोरोना महामारी गांव तक नहीं पहुंचे इसके लिए पूजा-पाठ कराया जा रहा है.

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