रांचीः झारखंड के सभी जिलों के चिन्हित 300 थानों में महिला हेल्पलाइन खोलने की डेडलाइन तय कर दी गई है. अगले 10 दिनों के भीतर राज्य के वैसे थाने जिन्हें महिला हेल्पलाइन के लिए चयनित किया गया है , उनमें महिला हेल्प डेस्क खोल दी जाएगी. शुक्रवार को सीआईडी एडीजी प्रशांत सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग में सभी जिलों को इस संबंध में आदेश दिया. सीआईडी एडीजी ने कहा कि अगले 10 दिनों के भीतर महिला हेल्प डेस्क तैयार कर लें.
दस दिनों में 300 थानों में काम करने लगेगी महिला हेल्प डेस्क, सीआईडी एडीजी ने एसपी को दिया टास्क - सीआईडी एडीजी प्रशांत सिंह
झारखंड में दस दिन में 300 थानों में महिला हेल्प डेस्क काम करने लगेगी. सीआईडी एडीजी प्रशांत सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बैठक में इस संबंध में सभी एसपी को निर्देश दिए हैं.
![दस दिनों में 300 थानों में काम करने लगेगी महिला हेल्प डेस्क, सीआईडी एडीजी ने एसपी को दिया टास्क Women help desk in Jharkhand to be start functioning in 300 police stations in ten days](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-15153222-671-15153222-1651252881446.jpg)
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सभी संसाधन उपलब्धःशुक्रवार को सीआईडी एडीजी प्रशांत सिंह ने सभी जिलों के एसपी और प्रमंडल के डीआईजी की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक ली. इस दौरान जिलों के एसपी से कहा कि महिला हेल्पलाइन को लेकर सारे संसाधन दिए जा चुके हैं, ऐसे में जल्द से जल्द महिला हेल्पलाइन खोल दें. इसकी अनुपालन रिपोर्ट तस्वीर के साथ भेजें. पूर्व में झारखंड पुलिस ने 192 महिला पुलिसकर्मियों की जेंडर सेनेटाइजेशन ट्रेनिंग कराई थी. इन महिला पुलिसकर्मियों को हेल्प डेस्क पर प्राथमिकता के आधार पर तैनात किया जाएगा.
थानों में कैसी होगी संरचनाः सीआईडी एडीजी ने कहा कि थाने के कक्ष में महिला हेल्पलाइन के लिए जगह निर्धारित हो, उसी जगह पर बोर्ड व पट्ट लगा होगा. ताकि महिला शिकायत लेकर आए तो सबसे पहले स्वत: वहां जाए. महिलाओं के आने पर तत्काल उनकी शिकायत पर कार्रवाई हो. महिला हेल्प लाइन के लिए चिन्हित थानों को 300 स्कूटी, टैब, लैपटॉप समेत अन्य संसाधन दिए गए हैं. जिलों के एएचटीयू थानों को मजबूत करने का निर्देश भी सीआईडी एडीजी ने दिया.
महिला अत्याचार के आंकड़ों में भिन्नता गलतः सीआईडी एडीजी ने जिलों के एसपी से कहा कि महिला अत्याचार के आंकड़ों में भिन्नता हो रही है, ऐसे में सही आंकड़ा उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. एडीजी ने निर्देश दिया कि अपराध के आंकड़ों में भिन्नता न हो, इसके लिए जरूरी है कि सीसीटीएनएस में घटनाओं का विवरण उपलब्ध कराएं.