रांचीः वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की रोजी-रोटी पर आफत आ गई है. ऐसी विषम परिस्थिति में महिलाएं आगे बढ़कर अपने परिवार की जिम्मेदारी उठा रही हैं. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी की ओर से संबद्धित राज्य की सखी मंडल की कुछ महिलाएं ऐसी हैं जो इस मामले में मिसाल कायम कर रही हैं.
ऐसा ही एक उदाहरण चतरा जिले के प्रतापपुर ब्लॉक के नारायणपुर में रहने वाली कविता देवी ने पेश किया है. दरअसल कविता देवी के पति राजधानी रांची में ऑटो ड्राइवर थे. लेकिन लॉकडाउन की वजह से उनकी नौकरी चली गई. ऐसी विषम परिस्थिति में कविता ने आजीविका सखी मंडल के जरिए क्रेडिट लिंकेज से लोन लिया और पति के ऑटो खरीदने का सपना पूरा किया. जेएसएलपीएस के चीफ कम्युनिकेशन ऑफिसर विकास बताते हैं कि अब कविता के पति आत्मनिर्भर है और अपने इलाके में ही ऑटो चला रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा कई ऐसे उदाहरण है, जहां महिलाएं अपने परिवारों की जिम्मेदारी निभा रही हैंं.
पाकुड़ की जानकी भी बनीं मिसाल
ऐसे ही पाकुड़ इलाके की जानकी मंडल ने स्थानीय सखी मंडल से लिए गए लोन लिया और उसका उपयोग सब्जी की दुकान खोलने में किया. कोविड-19 के प्रसार के दौरान कोलकाता से वापस लौटे उनके पति और प्रवासी मजदूर सुनील मंडल भी इस काम मे मदद कर रहे हैं. अब यही उनकी कमाई का आधार बन गया है.
विभाग की सचिव ने दिया निर्देश
ग्रामीण विकास विभाग की सचिव अराधना पटनायक ने निर्देश दिये हैं कि ऐसे प्रवासी जो कृषि पशुपालन से जुड़कर स्वरोजगार करना चाहते हैं उनको राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जोड़ा जाए, ताकि तुरंत उन्हें राहत मिल सके. इसी कड़ी में जानकी जैसी महिलाओं को भी जोड़ा गया है. राज्य में अब तक पैडी, अरहर, मक्का, मिलेट, उड़द, मूंग मूंगफली का बीज वितरण किया गया है.