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रांचीः कोरोना काल में आत्मनिर्भर हो रही हैं महिलाएं, संभाल रही हैं कई जिम्मेदारियां - Women are becoming independent in Corona

कोरोना महामारी में राजधानी की अनेक महिलाओं ने अपने कार्यों से समाज में एक नई पहचान स्थापित की है. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के सहयोग से महिलाएं घर की बखूबी से जिम्मेदारी संभाल रही हैं.

महिलाएं हो रही हैं आत्मनिर्भर
महिलाएं हो रही हैं आत्मनिर्भर

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Published : Jul 15, 2020, 5:03 PM IST

रांचीः वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की रोजी-रोटी पर आफत आ गई है. ऐसी विषम परिस्थिति में महिलाएं आगे बढ़कर अपने परिवार की जिम्मेदारी उठा रही हैं. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी की ओर से संबद्धित राज्य की सखी मंडल की कुछ महिलाएं ऐसी हैं जो इस मामले में मिसाल कायम कर रही हैं.

ऐसा ही एक उदाहरण चतरा जिले के प्रतापपुर ब्लॉक के नारायणपुर में रहने वाली कविता देवी ने पेश किया है. दरअसल कविता देवी के पति राजधानी रांची में ऑटो ड्राइवर थे. लेकिन लॉकडाउन की वजह से उनकी नौकरी चली गई. ऐसी विषम परिस्थिति में कविता ने आजीविका सखी मंडल के जरिए क्रेडिट लिंकेज से लोन लिया और पति के ऑटो खरीदने का सपना पूरा किया. जेएसएलपीएस के चीफ कम्युनिकेशन ऑफिसर विकास बताते हैं कि अब कविता के पति आत्मनिर्भर है और अपने इलाके में ही ऑटो चला रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा कई ऐसे उदाहरण है, जहां महिलाएं अपने परिवारों की जिम्मेदारी निभा रही हैंं.

पाकुड़ की जानकी भी बनीं मिसाल
ऐसे ही पाकुड़ इलाके की जानकी मंडल ने स्थानीय सखी मंडल से लिए गए लोन लिया और उसका उपयोग सब्जी की दुकान खोलने में किया. कोविड-19 के प्रसार के दौरान कोलकाता से वापस लौटे उनके पति और प्रवासी मजदूर सुनील मंडल भी इस काम मे मदद कर रहे हैं. अब यही उनकी कमाई का आधार बन गया है.

विभाग की सचिव ने दिया निर्देश
ग्रामीण विकास विभाग की सचिव अराधना पटनायक ने निर्देश दिये हैं कि ऐसे प्रवासी जो कृषि पशुपालन से जुड़कर स्वरोजगार करना चाहते हैं उनको राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जोड़ा जाए, ताकि तुरंत उन्हें राहत मिल सके. इसी कड़ी में जानकी जैसी महिलाओं को भी जोड़ा गया है. राज्य में अब तक पैडी, अरहर, मक्का, मिलेट, उड़द, मूंग मूंगफली का बीज वितरण किया गया है.

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आंकड़े के हिसाब से राज्य भर में उपरोक्त उत्पादों का 4370.49 क्विंटल बीज बांटा जा चुका है. बता दें कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 50 हजार सखी मंडलों को 75 करोड़ की राशि चक्रीय निधि के रूप में उपलब्ध कराई है. इसका लाभ राज्य के करीब 10 लाख परिवारों को मिला है.

37.2 प्रतिशत प्रवासी मजदूर चाहते हैं खेती करना
ग्रामीण विकास विभाग ने मोबाइल ऐप के जरिए प्रवासी मजदूरों के कौशल की पहचान के लिए एक सर्वेक्षण कराया है. उस सर्वेक्षण का नाम मिशन सक्षम दिया गया. जिसके तहत अब तक 4.56 लाख प्रवासियों का डाटाबेस तैयार किया गया है. इस सर्वेक्षण के जरिए राज्य के सुदूर ग्रामीण इलाकों में आंकड़ा इकट्ठा करने का काम झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के सामुदायिक कैडर और सखी मंडल की महिलाओं ने किया है. इस आंकड़े के अनुसार कुल प्रवासी मजदूरों में 37.2 फीसदी लोग खेती में रुचि रखते हैं. साथ ही कृषि आधारित आजीविका की शुरुआत करने को इच्छुक हैं, जबकि 13.8 प्रतिशत पशुपालन को रोजगार का साधन बना सकते हैं.

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