झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

15 साल से मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहे डॉक्टर, रिपोर्ट में पढ़ें क्यों जरूरी है ये कानून - झारखंड में डॉक्टरों की सुरक्षा

झारखंड के डॉक्टर लंबे समय से मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहे हैं. आए दिन डॉक्टरों पर हमले होते रहते हैं. ऐसे में डॉक्टरों का कहना है कि यह कानून जल्द बनना चाहिए.

medical protection act
मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट

By

Published : Jun 21, 2021, 8:08 PM IST

Updated : Jun 21, 2021, 10:38 PM IST

रांची:झारखंड में डॉक्टरों के लिए अलग से एक सुरक्षा कानून की मांग पिछले 15 वर्षों से की जा रही है. 2006 में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लगभग अंतिम चरण में पहुंच गया था लेकिन इस बीच राष्ट्रपति शासन समाप्त हो गया और यह कानून भी ठंडे बस्ते में चला गया. रघुवर दास की सरकार के दौरान भी मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट किसी खामी की वजह से पास नहीं हो सका था. डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए यह कानून जरूरी है लेकिन झारखंड में यह अब तक पास नहीं हो सका है. पिछले दिनों इसको लेकर देश भर में डॉक्टरों ने काला बिल्ला लगाकर विरोध भी किया था.

यह भी पढ़ें:केंद्रीय कानून की मांग को लेकर डॉक्टरों ने किया प्रदर्शन, काला बिल्ला लगाकर जताया विरोध

सीएम से है उम्मीद

झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विसेज एसोसिएशन(झासा) और आईएमए झारखंड इकाई चरणबद्ध तरीके से मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग लंबे समय से कर रही है. कई बार डॉक्टर हिंसा का शिकार भी होते रहे हैं. लेकिन, अब तक यह एक्ट लागू नहीं हुआ है. आईएमए झारखंड के महासचिव डॉक्टर प्रदीप कुमार सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जब नेता विपक्ष थे, उस समय उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार आई तो डॉक्टरों की सुरक्षा वाला एक कानून राज्य में लागू करेंगे. अब वह खुद मुख्यमंत्री हैं तब आईएमए को उम्मीद है कि झारखंड मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो जाएगा.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

रघुवर सरकार में भी आया था बिल

रघुवर दास की सरकार में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की प्रति विधानसभा पटल तक पहुंच गई थी. उसमें कुछ खामियां बताकर फिर विधानसभा की विशेष समिति को सौंप दिया गया था. दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार में डॉक्टरों को सुरक्षा देने के लिए एक कठोर कानून लाने की कोशिश सरकार की ओर से की गई थी. लगभग सभी दलों ने इसका सदन में पुरजोर विरोध किया था.

विधायकों का कहना था कि इस कानून से डॉक्टरों की सुरक्षा तो हो जाएगी लेकिन आम जनता की हितों की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए ताकि लापरवाह डॉक्टरों के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई हो सके. विधायकों के इसी विरोध के चलते सरकार ने प्रस्तावित बिल को विशेष समिति में भेज दिया था.

मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट में क्या मांग कर रहे डॉक्टर?

मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट में डॉक्टरों की यह मांग है कि डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए एक कड़ा कानून बने. कोई अगर डॉक्टरों को या फिर अस्पताल के संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है तो क्षति की राशि उससे वसूली जाए. मारपीट के मामले में आरोपी को बेल भी नहीं मिलना चाहिए. इसे आईपीसी और सीआरपीसी से जोड़ा जाए.

सिविल सर्जन ने बताई 10 साल पुरानी कहानी, तब बदमाश ने तान दिया था रिवॉल्वर

मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को लेकर जब हमने रांची के सिविल सर्जन विनोद कुमार से बात की तब उन्होंने करीब 10 साल पहले की एक घटना का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि रात करीब 11 बजे थे और खाना खाने के लिए बैठे थे. इसी दौरान एक घायल व्यक्ति को लेकर दर्जनों लोग शराब के नशे में अस्पताल पहुंचे. घायल का प्राथमिक उपचार के बाद यह पता चला कि उसके जांघ की हड्डी टूटी है और ऑपरेशन का मामला है. उन्होंने मरीज को रिम्स ले जाने के लिए रेफर किया तो शराब के नशे में धुत एक शख्स ने पास आकर रिवॉल्वर तान दी. उसने कहा कि मरीज को रिम्स रेफर करना पड़ेगा तो तुम यहां क्यों रहोगे.

सिविल सर्जन उसे समझाते रहे कि मामला ऑपरेशन का है और हड्डी के डॉक्टर ही इलाज करेंगे. मैं बच्चों का डॉक्टर हूं. इसके बावजूद वह लगातार बदतमीजी करता रहा. इस घटना को वर्षों बीत गए लेकिन विनोद कुमार की जेहन में खौफ आज भी है. उन्होंने कहा कि अस्पताल के कुछ कर्मचारियों की वजह से वे बच गए. इसका जिक्र भी कहीं नहीं किया क्योंकि उन्हें लोहरदगा में काम करना था. उन्होंने बताया कि डॉक्टरों के साथ हिंसा होती रहती है. ऐसे में एक कठोर कानून बहुत जरूरी है ताकि डॉक्टर सुरक्षा भाव के साथ मरीजों का इलाज कर सकें.

Last Updated : Jun 21, 2021, 10:38 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details