रांची: झारखंड के किसान लगातार सूखे की मार झेल रहे हैं. इस साल 21 जिलों के करीब 210 प्रखंड ऐसे थे, जहां औसत से कम बारिश हुई. लिहाजा, 18 लाख हेक्टेयर में धान की फसल लगाने के लक्ष्य की तुलना में महज 11 लाख हेक्टेयर में ही धान की बुआई हो पाई. ऐसे में किसानों की परेशानी समझी जा सकती है. पिछले साल तो और भी खराब स्थिति थी. महज 8 लाख हेक्टेयर में धान की फसल लग पाई थी. अब सवाल है कि केंद्र सरकार से सूखा प्रभावित किसानों के लिए सहायता राशि का दावा क्यों नहीं किया गया. क्योंकि संशोधित सूखा नियमावली 2020 के तहत राज्य सरकारों को 31 अक्टूबर तक दावा पेश करना होता है.
इस बारे में ईटीवी भारत की टीम ने कृषि विभाग के सचिव अबु बकर सिद्दिकी से बात की तो उन्होंने कहा कि अक्टूबर माह में ही सूखाड़ से जुड़ा स्टेट्स रिपोर्ट आपदा प्रबंधन विभाग को भेज दिया गया था. यह सही है कि क्लेम करने के लिए 31 अक्टूबर तक का समय होता है. लेकिन नियमावली में प्रावधान है कि राज्य सरकार परिस्थिति का जिक्र करते हुए बाद में भी क्लेम रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज सकती है. उन्होंने कहा कि किसानों के हित को लेकर सरकार गंभीर है. इस मसले पर सीएम की अध्यक्षता में एक बैठक होनी है. उन्होंने उम्मीद जतायी है कि राज्य सरकार के स्तर पर प्रभावित किसानों को सहायता राशि मुहैया कराई जाएगी.
कृषि विभाग की तैयारी सवालों के घेरे में:जब कृषि विभाग की दलील की पड़ताल की गई तो कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. आपदा प्रबंधन विभाग के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि सारी गलती कृषि विभाग के स्तर पर हुई है. बेशक, एक रिपोर्ट आया है लेकिन वह भारत सरकार के पैरामीटर को पूरा नहीं करता. कृषि विभाग ने अपनी रिपोर्ट में सिर्फ मॉडरेट और सिवियर ब्लॉक का जिक्र किया है. वो किसी काम का नहीं है. भारत सरकार के नियम के मुताबिक रेन फॉल का डेटा, क्रॉप कवरेज का डेटा, सेटेलाइट से वेजिटेशन कवरेज का डेटा, कितनी जगह फसल लगी या नहीं लगी, इन सब का ब्यौरा देना होता है. ऐसे में कृषि विभाग की हवा-हवाई रिपोर्ट को केंद्र सरकार को कैसे भेजा जा सकता है. इसलिए नवंबर माह में ही विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए कृषि विभाग को पत्र भेजा गया है.
आपदा प्रबंधन विभाग के सूत्र के मुताबिक राज्य बनने के बाद कभी भी 31 अक्टूबर के पहले केंद्र को रिपोर्ट नहीं भेजा गया है. हमेशा नवंबर या दिसंबर में ही सूखा से जुड़ा रिपोर्ट गया है. इसकी वजह है लेट रेन साइक्लिंग. झारखंड में विलंब से मॉनसून के पहुंचने और विलंब से बारिश की वजह से धान की रोपनी भी देरी से होती है. अभी तक कई जगहों पर धान की कटाई चल ही रही है. एक और खास बात है कि एनडीआरएफ यानी नेशनल डिजास्टर रिसपांस फंड का आजतक एक भी पैसा झारखंड को नहीं मिला है. अबतक एसडीआरएफ यानी स्टेट डिजास्टर रिसपांस फंड के पैसे का ही इस्तेमाल होता रहा है. इसके लिए भी कुछ नियमों का पालन करना होता है.