रांची: झारखंड की राजनीति में चार दिन के भीतर भाजपा आलाकमान ने दो बड़े फैसले सुनाकर सबको चौंका दिया है. 15 अक्टूबर की शाम चंदनक्यारी से भाजपा विधायक अमर कुमार बाउरी को प्रदेश भाजपा विधायक दल का नेता बनाए जाने पर अभी मंथन चल ही रहा था कि 18 अक्टूबर की देर शाम रघुवर दास को ओडिशा का राज्यपाल मनोनीत कर पार्टी ने नई बहस को जन्म दे दिया है. पार्टी के इस फैसले से एक खेमें में खुशी तो दूसरे में गम. वहीं अमर कुमार बाउरी के दोनों हाथ में लड्डू मिल गया है. उनके आगे की राजनीति का रास्ता खुल गया है. भाजपा के इन दो बड़े फैसलों पर झारखंड की राजनीति के जानकारों के अपने-अपने तर्क हैं.
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वरिष्ठ पत्रकार शंभु प्रसाद इन फैसलों को चार हिस्सों में बांटकर देखते हैं. उनके मुताबिक यह भाजपा की दूरदर्शी राजनीति का परिणाम है. पार्टी ने राज्यपाल बनाकर रघुवर दास को वफादारी का इनाम दिया है. क्योंकि रघुवर दास 68 साल के हो गये हैं. उनको लेकर लंबी प्लानिंग नहीं की जा सकती है. पिछले चुनाव के बाद ही पार्टी को यह बात समझ आ गई थी.
दूसरा बड़ा संकेत यह है कि पार्टी ने बाबूलाल को फ्री हैंड कर दिया है. अब वह कोई भी बड़ा फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होंगे. क्योंकि अर्जुन मुंडा पहले ही केंद्र की राजनीति में शिफ्ट हो चुके हैं. पार्टी के इस फैसले से गुजबाजी पर विराम लग गया है. अब बाबूलाल मरांडी वर्किंग कमेटी का गठन स्वतंत्र रूप से कर पाएंगे. सबसे खास बात है कि पार्टी ने बाबूलाल मरांडी के जरिए ही अमर कुमार बाउरी को विधायक दल का नेता चुने जाने की घोषणा करवाई.
बाउरी भी कह चुके हैं कि उन्हें अपने वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन में काम करना है. इससे पार्टी ने दलित वोट बैंक को भी साधने की कोशिश की है. वरिष्ठ पत्रकार शंभु प्रसाद ने कहा कि इससे साफ है कि पार्टी मन बना चुकी है कि अगला चुनाव बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा. इसका सबसे ज्यादा फायदा आदिवासी वोट बैंक को साधने में मिलेगा. क्योंकि बाबूलाल मरांडी ही एकमात्र नेता हैं जो सोरेन परिवार से सीधे तौर पर टकरा सकते हैं.