रांची : पीएम मोदी के नौ वर्षों के कार्यकाल को भाजपा जहां आजाद भारत का स्वर्णिम कार्यकाल बता रही है. वहीं कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष मोदी के नौ साल के कार्यकाल को बदहाली के नौ साल बता रहा है. कांग्रेस महंगाई, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा, देश की आर्थिक स्थिति, पुलवामा का सच सहित तमाम मुद्दों पर भाजपा को घेर रही है. वहीं भाजपा का कहना है कि मोदी सरकार ने अपने नौ साल के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं. उनमें से एक आयुष्मान भारत योजना की लॉन्चिंग झारखंड की धरती से की थी. यह योजना आम जन को इलाज की गारंटी देने वाली है. साथ ही यह स्वास्थ्य बीमा योजना विश्व की सबसे बड़ी योजना है.
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झारखंड में 16 लाख से अधिक लोगों का इस योजना के तहत हुआ है इलाजःइस योजना का लाभ किस कदर झारखंड के जरूरतमंदों को मिला है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब तक "आयुष्मान भारत" योजना का लाभ 16 लाख, 24 हजार, 19 लोगों ने उठाया है. ये वे लोग हैं जो अंत्योदय, बीपीएल परिवार से आते हैं. राज्य में इस योजना के तहत 2196 तरह की बीमारियों के इलाज की व्यवस्था सरकार ने की है. सिर्फ झारखंड में ही एक करोड़, 13 लाख लोगों ने आयुष्मान कार्ड बनवाया है. इस योजना के तहत सरकार लाभुक परिवार के हर सदस्य को प्रति वर्ष पांच लाख रुपए तक के इलाज की गारंटी देती है. अगर झारखंड की बात करें तो राज्य में कुल 713 अस्पताल (279 सरकारी+424 निजी) में इस योजना के तहत इलाज की सुविधा उपलब्ध है.
23 सितंबर 2018 को पीएम मोदी ने रांची से की थी स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआतः 23 सितंबर 2018 को रांची के प्रभात तारा मैदान से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के अंतर्गत राज्य में अंत्योदय के तहत आने वाले करीब 29 लाख परिवार के सदस्यों को हर वर्ष पांच लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त है. उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य के वैसे करीब 28 लाख से अधिक परिवार जो अंत्योदय में तो नहीं थे, पर गरीबी रेखा में जरूर थे उनके लिए भी राज्य सरकार के खर्च पर इस योजना के तहत इलाज की सुविधा प्रदान की थी. इस तरह राज्य में योजना के शुरू होते ही एक साथ 57.17 लाख परिवार और करीब ढाई करोड़ की आबादी इस योजना से आच्छादित हो गई थी.
हेमंत सरकार ने बदल दिया था योजना का नामः 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद रघुवर दास की जगह महागठबंधन नेता हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने. कोरोना की तीव्रता कम होते ही राज्य सरकार ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना इसी योजना से प्रधानमंत्री शब्द हटाकर मुख्यमंत्री शब्द को जोड़ दिया. अब राज्य में पीएम द्वारा शुरू की गई योजना आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना चल रही है. इसके लिए सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की अपनी दलील भी है. वह कहते हैं कि राज्य में PMJAY की जगह MMJAY यानि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की जगह मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना करने की वजह यह है कि राज्य सरकार योजना पर सबसे अधिक राशि खर्च कर रही है.
योजना का नाम बदलने के पीछे स्वास्थ्य मंत्री का तर्कः स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बताया कि इस योजना में केंद्र की सरकार सिर्फ अंत्योदय वाले परिवार को स्वास्थ्य बीमा की प्रीमियम राशि का 60% देती है, जबकि इसका 40 % राज्य सरकार खर्च करती है. इतना ही नहीं 57.17 लाख लाभुक परिवार में से लगभग 28.17 लाख ऐसे परिवार जो अंत्योदय में नहीं हैं, पर गरीब हैं. उनके बीमा की राशि का 100% प्रीमियम झारखंड सरकार खर्च करती है. अब हरा कार्डधारी करीब 15 लाख परिवार को भी इस योजना से जोड़ा जा रहा है. इसकी राशि भी झारखंड सरकार खर्च करेगी. ऐसे में विभागीय मंत्री का तर्क है कि पूरी बीमा राशि का ज्यादातर पैसा झारखड सरकार वहन करती है तो कैसे नाम प्रधानमंत्री के नाम पर होगा ?
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आयुष्मान भारत योजना एक बड़ी उपलब्धिः प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के नौ साल को लेकर पक्ष-विपक्ष के बीच दावे-प्रतिदावे होना लाजिमी है, लेकिन अगर आयुष्मान भारत की बात करें तो इस एक योजना ने समाज के उन वर्गों को इलाज की चिंता से मुक्ति जरूर दिलाई है, जो समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े थे. चाहे योजना के आगे पीएम शब्द जुड़ा हो या मुख्यमंत्री शब्द इसका लाभ उन लोगों को मिल रहा है जो जरूरतमंद हैं. झारखंड में हाइब्रिड तरीके से यह योजना चल रही है. जिसमें एक लाख रुपए तक का इलाज का खर्च बीमा कंपनी उठाती है और उससे अधिक यानि अधिकतम चार लाख तक की राशि सरकार द्वारा बनायी गई ट्रस्ट इलाज का खर्च वहन करता है.