रांची: राजधानी रांची में अप्रैल और मई का महीना लोगों के लिए पानी से किल्लत भरा महीना होता है, लेकिन कोरोना महामारी के कारण जारी लॉकडाउन के दौरान इस साल पानी की मांग में थोड़ी कमी देखी जा रही है, लेकिन फिर भी शहर के कई ऐसे इलाके हैं, जहां पानी के लिए लोगों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.
रांची नगर निगम की ओर से जिन इलाकों में पानी की कमी है वहां टैंकर के माध्यम से लोगों को पानी मुहैया कराया जा रहा है, लेकिन पिछले 3 दिनों से बढ़ी तपिश के दौरान ईटीवी भारत की टीम ने जब इसकी पड़ताल की तो कुछ इलाकों में पाया कि लोगों को एक बार फिर बूंद बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है.
कई स्थानों पर पानी की समस्या राजधानी रांची में गर्मी के दस्तक देने के साथ ही पानी की किल्लत शुरू हो जाती है, लेकिन इस साल लॉकडाउन की वजह से पानी की समस्या अप्रैल महीने में न के बराबर हुई, बल्कि 5% पानी की ही डिमांड वार्डों में हुई. वहीं मई महीने में भी लगातार मौसम के मिजाज ने लोगों को पानी की समस्या से राहत दी है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से बढ़े तापमान ने लोगों के लिए एक बार फिर मुसीबत खड़ी कर दी है, आलम यह है कि शहर के कई वार्डों में पानी की मांग बढ़ गई है. हालांकि इससे निपटने के लिए निगम की ओर से 49 टैंकरों के माध्यम से चिन्हित जगह पर पानी पहुंचाई जा रही है, ताकि लोगों को पानी मिल सके.
राज्य सरकार पर राशि मुहैया नहीं कराने का आरोप
शहर की मेयर आशा लकड़ा ने साफ तौर पर कहा है कि राज्य सरकार की ओर से पानी की किल्लत को दूर करने के लिए निगम की प्रस्तावित राशि अब तक मुहैया नहीं कराई गई है, जो सबसे बड़ी समस्या का सबब बन गया है, फिर भी टैंकर के माध्यम से लोगों को पानी मुहैया कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि नागरिक सुविधा मद से डेढ़ करोड़ रुपए से चापानल मरम्मत का काम शुरू किया गया है.
टैंकरों के किया जा रहा सेनेटाइजेशन पिछले साल से पानी की मांग हुई कम
वहीं राजधानी में पिछले तीन दिनों से बढ़े तापमान की वजह से स्थिति भयावह हो गई है. हालांकि निगम के पदाधिकारी इससे अभी भी अनजान हैं, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से अप्रैल और मई के महीने में पिछले वर्ष की तरह पानी की मांग नहीं बढ़ी है.
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70 स्थानों पर टैंकर से पानी मुहैया कराया जा रहा
निगम की हेल्थ ऑफिसर डॉ किरण कुमारी ने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस साल अब तक महज 30% ही पानी की डिमांड हो रही है. इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि शहर के मॉल, रेस्टोरेंट, कमर्शियल बिल्डिंग समेत कई कार्यालय बंद होने की वजह से पानी का लेयर थोड़ा दुरुस्त है और पानी की कमी भी पिछले वर्ष की तुलना में कम है, पहले जहां अफरा-तफरी रहती थी, वर्तमान में निगम आराम से लोगों को टैंकर से पानी मुहैया करा रहे हैं. उन्होंने बताया कि पिछले साल जहां 400 स्थानों पर टैंकर से पानी मुहैया कराया जा रहा था. इस साल मात्र 70 चिन्हित स्थानों पर मांग के अनुसार टैंकर से पानी मुहैया कराया जा रहा है.
गर्मी ने बढ़ाई पानी की किल्लत
कुछ दिनों पहले से बढ़ी तपिश के बाद शहर के कुछ इलाकों में पानी के लिए लोग बूंद-बूंद को तरस रहे हैं. सुखदेव नगर थाना के ठीक बगल में स्थित विस्थापितों के लिए बने फ्लैट में रहने वाले 700 से ज्यादा परिवार सुबह से शाम तक वाटर सप्लाई के पाइप से पानी आने का इंतजार करते रहते हैं. पानी के लिए बर्तन लेकर बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सड़क पर नजर आ रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि निगम के टैंकर कम संख्या में आते हैं, जिसकी वजह से लोगों को पानी नहीं मिल पाता है. उन्होंने बताया कि कभी-कभी पानी लेने के लिए मारपीट की भी स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
रांची नगर नगर का दावा फेल
रांची नगर निगम भले ही इस बढ़ी तपिश में सभी को पानी पिलाने का दावा कर रही हो, लेकिन हकीकत इससे परे ही नजर आ रहा है. स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि लोग लॉकडाउन के दौरान पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए कोरोना संक्रमण से बचने के उपायों को भी दरकिनार कर रहे हैं. लोग न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं और न ही मास्क का उपयोग कर रहे हैं, जो कोरोना संक्रमण के फैलाव में घातक साबित हो सकता है.
गर्मी में पानी की मांग बढ़ी आपको बता दें कि राजधानी रांची में कुल 1300 मिनी डीप बोरिंग, 170 डीप बोरिंग और 2600 चापानल है. इनके मरम्मती के लिए दो दिनों पहले निगम की स्टैंडिंग कमेटी ने नागरिक सुविधा मद की आवंटित राशि से डेढ़ करोड़ रुपए राशि के प्रस्ताव को पारित किया है. वहीं वर्तमान में शहर के 53 वार्डों में 70 जगहों पर 57 में से 49 टैंकर से जलापूर्ति का काम किया जा रहा है, जबकि 8 टैंकर सेनेटाइजेशन के काम में लगे हुए हैं और 10 टैंकरों के लिए टेंडर निकाला गया है, जबकि पिछले वर्ष 467 स्थानों पर टैंकर से जलापूर्ति की गई थी. इसके साथ ही धुर्वा डैम का जलस्तर कम होने की वजह से शहर के बड़े इलाके में सप्ताह में 2 दिनों की राशनिंग भी की जा रही है, जहां पानी की समस्या आ रही है वहां भी निगम को जलापूर्ति का अतिरिक्त भार उठाना पड़ रहा है.