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12 दिसंबर को वर्चुअल राष्ट्रीय लोक अदालत का होगा आयोजन, 46 बेंच का गठन

झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देश पर पहली बार 12 दिसंबर को वर्चुअल राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है. जहां 46 बेंच का गठन किया गया है.

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वर्चुअल राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन

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Published : Dec 10, 2020, 2:17 PM IST

रांची: झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार के दिशा निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार ने लंबित मामलों को न्यूनतम स्तर पर लाने के लिए बड़ा लक्ष्य तय किया है. पहली बार राष्ट्रीय लोक अदालत वर्चुअल माध्यम से होने जा रहा है, जिसको लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है. सफल आयोजन को लेकर कुल 46 बेंच का गठन किया गया है और लगभग विभिन्न न्यायालयों से 5000 पक्षकारों को नोटिस निर्गत कराया गया है.

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वर्चुअल राष्ट्रीय लोक अदालत
राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार की तरफ से सभी पक्षकारों से संपर्क करने का प्रयास भी किया जा रहा है. साथ ही साथ विभिन्न मामले जिसमें ट्रैफिकिंग से संबंधित मामले उत्पाद से संबंधित मामले कंपाउंडेबल मामले एवं अन्य प्रकार के मामले को चयनित किया गया है. पक्षकारों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है जबकि वैश्विक महामारी के कारण अभी न्यायालयों में ट्रायल बाधित है. ऐसे में सारे सुलहनिए मामले और अन्य मामले से संबंधित सुलह के माध्यम से मामलों का निष्पादन किया जा सकता है. सुलहानिय प्रकृति के अधिक से अधिक मामलों को लोक अदालत लाकर निपटारा किया जाएगा. छोटे-मोटे अपराध जमीन विवाद, पारिवारिक विवाद, विभाग और चेक बाउंस से जुड़े हुए हैं. इस प्रकार के मामले वर्षों से अदालत में लंबित पड़े हुए है. अदालत में फाइलों का अंबार लगा रहता है.

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अदालत में चक्कर काट रहे वादियों को मिलेगा लाभ
डालसा के इस प्रयोग से छोटे-मोटे मामले में वर्षों से अदालत में चक्कर काट रहे वादियों को लाभ मिलेगा लोक अदालत में 1 दिन में ही मामले निपट जाएंगे केस समाप्त हो जाएगा अदालत का बोझ भी कम होगा. जिसका असर नए केस की सुनवाई पर पड़ेगा, फैसला तेजी से आएगा. पुलिस और वकील की कार्यशैली से छोटे-मोटे मामले भी वर्षों तक खींचते चले जाते हैं वादी का आर्थिक दोहन होता है. अदालत में लंबित मामलों का प्रतिदिन बढ़ रहे छोटे-मोटे मामले जिससे तत्काल आपसी सहमति से सुलझाया जा सकता है. क्योंकि वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से अदालतों में सुनवाई होने के कारण अभी ट्रायल पर ही थे और छोटे-मोटे मामले का निस्तारण नहीं हो पा रहा है.

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