रांचीःराज्य के सभी जिला सिविल कोर्ट और अनुमंडल अदालतों में 50 प्रतिशत फिजिकल और 50 प्रतिशत मामलों की वर्चुअल सुनवाई होगी. झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के प्रभारी रजिस्ट्रार जनरल ने निर्देश जारी कर कहा है कि फिजिकल और वर्चुअल (physical and virtual) कोर्ट साथ-साथ चलेंगी. इसकी तैयारी एसओपी के तहत सुनिश्चित करें.
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झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने बताया कि रजिस्ट्रार जनरल ने फिजिकल और वर्चुअल सुनवाई का निर्देश जारी किया है. उन्होंने कहा कि जारी आदेश के अनुसार फिजिकल सुनवाई शुरू करने के पहले सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी कोरोना गाइडलाइन की मैनुअल ट्रेनिंग जरूरी होगी. फिजिकल कोर्ट की पूरी व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुरूप ही करनी होगी. हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने एसओपी सभी जिलों के प्रधान जिला जज को भेज दी है.
जिला जज रोटेशन करेंगे तय
हाई कोर्ट ने राज्य की अदालतों को तीन श्रेणी में बांटकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं. राज्य के जिन जिलों में कोरोना के 50 से कम सक्रिय केस हैं, वहां 50 फीसदी फिजिकल और 50 फीसदी वर्चुअल कोर्ट बैठेगा. जिला जज रोटेशन के आधार पर फिजिकल और वर्चुअल कोर्ट तय करेंगे. इसके साथ ही जिन जिलों में 50 से 100 तक सक्रिय केस हैं, वहां एक तिहाई फिजिकल और दो तिहाई वर्चुअल कोर्ट बैठेगा. इन जिलों के कोर्ट में याचिकाएं मौजूदा व्यवस्था के साथ-साथ ई-सेवा केंद्र से भी दाखिल की जा सकेंगी. यहां एक-एक फैमिली कोर्ट, जिला जज, एडीजे, सीजेएम, एसीजेएम का कोर्ट बैठेगा. दो सिविल जज, एक एसडीजेएम और न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम श्रेणी) का कोर्ट बैठेगा.
सोशल डिस्टेंसिंग का करना होगा पालन
150 से अधिक सक्रिय केस वाले जिलों में एक चौथाई फिजिकल और तीन चौथाई वर्चुअल कोर्ट में सुनवाई होगी. इन जिलों में याचिका ड्रॉप बॉक्स में डाली जाएगी. इन जिलों के जिला जज को विषयवार रोस्टर तैयार करने का अधिकार दिया गया है. इसके साथ ही कोर्ट के सभी कार्यालयों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा. बिना मास्क किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी.
वकीलों के चैंबर में करना होगा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन
न्यायालय परिसर के भीतर वकीलों के चैंबर के लिए भी दिशा-निर्देश जारी किया गया है. वकीलों के चैंबर में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा. इसके साथ ही सेनेटाइजेशन की व्यवस्था करनी होगी. वहीं, सुबह 10 से शाम 5 बजे तक ही चैंबर खोले जाने की अनुमति रहेगी. हाई कोर्ट ने वकीलों को सुझाव दिया है कि चाहे तो सुविधा अनुसार ऑड-इवेन के आधार पर चैंबर खोल सकते हैं. सिर्फ वकील और उनके स्टाफ को ही न्यायालय परिसर में प्रवेश की अनुमति दी गई है.