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Vijay Diwas 2021: विजय दिवस पर कांग्रेस ने शहीदों के परिजनों को किया सम्मानित - Photo exhibition at festival

झारखंड कांग्रेस कार्यालय में विजय दिवस की 50वीं वर्षगांठ पर सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इस समारोह में शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई और उनके परिजनों को सम्मानित किया गया.

Honor Ceremony at Jharkhand Congress Office
कांग्रेस कार्यालय में मनाया गया बांग्लादेश मुक्ति युद्ध विजय दिवस की 50वीं वर्षगांठ

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Published : Dec 16, 2021, 6:21 PM IST

रांचीः देश भर में विजय दिवस की 50वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है. झारखंड कांग्रेस भी पिछले एक साल से इस वर्ष को विजय पर्व के रूप में मनी रही है, जिसका समापन गुरुवार को कांग्रेस भवन में सम्मान समारोह आयोजित कर किया गया. सम्मान समारोह में शहीदों को श्रद्धांजलि देकर याद किया गया. इसके साथ ही सैनिकों के परिजनों को भी सम्मानित किया गया.

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विजय दिवस की 50वीं वर्षगांठ समारोह में फोटो प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया. इस प्रदर्शनी में 1971 की लड़ाई से जुड़ी तस्वीरों के साथ-साथ, जनरल नियाजी की आत्मसमर्पण करते हुए तस्वीर और झारखंड के वीर सपूतों की तस्वीरें प्रदर्शित की गई, ताकि हमारी नई पीढ़ी गौरवशाली इतिहास से अवगत हो सके.

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काम करने में कांग्रेस का विश्वास

झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच 13 दिनों तक युद्ध हुआ था. इस युद्ध में इंदिरा गांधी के साहसी फैसले और तत्कालीन रक्षा मंत्री जगजीवन राम के कुशल नेतृत्व में पाकिस्तान को दो हिस्सों में बांट दिया. उन्होंने कहा कि आज लोग काम कम करते हैं और गाल ज्यादा बजाते हैं. कांग्रेस काम करने में विश्वास करती है.

भारतीय सैनिकों ने दिखाई वीरता

ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि झारखंड और हिंदुस्तान वीरों की धरती है. उन्होंने कहा कि आजादी से पहले पाकिस्तान और बांग्लादेश भारत का ही अंग था. आजादी के बाद बंटवारा हुआ. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में चुनाव जीतने के बाद शेख मुजीब को बंधक बना लिया, तब इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारतीय सेना की वीरता से बांग्लादेश का उदय हुआ.

सरकार से नौकरी की मांग

शहीद के परिजन उषा मिंज और विषणा उरांव ने कहा कि सम्मान से काफी खुश हैं. लेकिन इस महंगाई में पेंशन की 20 हजार की राशि से घर नहीं चल पाता है. उन्होंने कहा कि सरकार हमारे बच्चे को नौकरी दे, ताकि परिवार का भरण-पोषण हो सके.

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