रांची:झारखंड स्थापना दिवस कार्यक्रम में (22nd Anniversary of Jharkhand Legislative Assembly) राज्यपाल ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि उनकी बदौलत झारखंड देश का 28वां राज्य बना, लेकिन अब मंथन करने की जरूरत है कि लोक आकांक्षाओं पर हम कहां पहुंचे. उन्होंने कहा कि जनता सर्वोपरी होती है. जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी और मर्यादा को अक्षुण रखना जनप्रतिनिधियों का दायित्व होता है. कार्यवाही में बढ़ता अवरोध चिंता का विषय है. ऐसा करना चाहिए कि जनता खुद कहे कि हमारा विधायक सर्वश्रेष्ठ है. इस दौरान उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन के दिनों को साझा करते हुए कहा कि उनका दरवाजा सबके लिए खुला रहा. उन्होंने कभी भेदभाव नहीं किया. राजनीति का मकसद ही लोगों की सेवा करना होना चाहिए.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आज खुशी का दिन है. जब हम एकीकृत बिहार में थे तो एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में यहां के विधायक गुम हो जाते थे. पटना से दूर होने के कारण कई समस्याएं उत्पन्न हुईं. बाद में अनचाहे वातावरण बनने लगे. आदिवा, दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों पर शोषण लंबे समय तक चला. अंग्रेजों के जाने के बाद भी समस्याओं से निजात के लिए लड़ाई चली. दिशोम गुरू शिबू सोरेन के नेतृत्व में लंबे संघर्ष के बाद झारखंड राज्य मिला. इसके बाद राज्य को दिशा देने के सिलसिला शुरू हुआ. लेकिन मैं इस बात पर चर्चा नहीं करना चाहूंगा कि इतने वर्षों में हम कहां पहुंचे.