रांची: झारखंड में कोरोना के चार पॉजिटिव मरीज आने के बाद सरकार की चुनौती बढ़ गई है. राज्य में कोरोना जिस तरह से पांव पसार रहा है ऐसे में कोरोना पर विजय पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग और राज्य सरकार के पास सिर्फ एक ही रास्ता है, वह है अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करना. कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कई दिशा-निर्देश जारी किया है जैसे बार-बार हाथ धोना, मास्क लगाना, छींकते और खांसते समय मुंह पर रुमाल रखना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना.
कोरोना पॉजिटिव मरीज जिन्हें सांस लेने या उनके रेस्पिरेटरी सिस्टम में दिक्कत होने लगती है, तो उन्हें वेंटिलेटर स्पोर्ट बेहद जरूरी हो जाता है. इससे साफ है कि कोरोना के खिलाफ वेंटिलेटर रामबाण की तरह है, लेकिन आश्चर्य की बात है कि सवा तीन करोड़ आबादी वाले झारखंड राज्य में सरकारी और निजी अस्पताल को मिलाकर कुल वेंटिलेटर की संख्या मात्र 350 के ही करीब हैं.
इसमें कई वेंटिलेटर खराब होने की भी बात कही जा रही है. ऐसे में अगर ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वायरस अपना पांव पसार लेता है तो स्वास्थ्य विभाग के लिए काफी परेशानी खड़ी हो सकती है, क्योंकि मिली जानकारी के अनुसार राज्य के किसी सीएचसी,पीएचसी और सदर अस्पताल में वेंटिलेटर की सुविधा नहीं है.