रांची: झारखंड हाई कोर्ट में अक्सर मामले की सुनवाई में सरकार को फजीहत हो रही है, जो कुछ दिनों से बढ़ती जा रही है. अक्सर देखने को मिलता है कि झारखंड हाई कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश का सही समय से अनुपालन नहीं किए जाने पर या झारखंड हाई कोर्ट में सरकार की ओर से सही समय पर सही जवाब नहीं दिए जाने के कारण अक्सर अधिकारी को फटकार लगती है.
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न्यायालय का समय होता है बर्बाद
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश को राज्य सरकार के अधिकारियों को अक्सर अदालत में बुलाना पड़ रहा है, जिससे सरकार की फजीहत हो रही है. यह बात स्थानीय मीडिया में भी देखने को मिलती है कि अदालत ने अधिकारी को हाई कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सहित कई न्यायाधीश सुनवाई के दौरान सरकार के जवाब पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हैं और अधिकारी को समय से काम नहीं किए जाने के लिए फटकार लगाते हैं. उन्हें कई बार समय से आदेश का अनुपालन करने का निर्देश दिया जाता है और हाई कोर्ट की ओर से मांगे जाने वाले जवाब को सही से पेश करने को कहा जाता है, लेकिन अधिकारी सही तरीके से जवाब पेश नहीं कर पाते हैं. जिससे अक्सर न्यायालय का समय बर्बाद होता है और न्यायालय को मामले में वरीय अधिकारी या सचिव स्तर के अधिकारी को अदालत में बुलाना पड़ता है.
झारखंड हाई कोर्ट परिसर में पुलिसकर्मी कई बार लगी है अधिकारियों को फटकार
राजधानी रांची सहित राज्य में हो रहे सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने के मामले में अदालत ने कई बार अधिकारियों को निर्देश दिया है. मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा गया है कि अगर आप को डर लगता है तो आप अदालत को बताएं अदालत आदेश देगा, लेकिन अधिकारी उचित निर्णय नहीं ले पाते हैं. रांची से लगातार तालाब के गायब होने के मामले में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से समय से सही जवाब नहीं दिए जाने के कारण कई बार अधिकारियों को फटकार लगाना पड़ा है. इसके बावजूद अदालत के समक्ष उचित जवाब नहीं दिया जा सका है. कई बार जवाब के लिए समय की मांग की जाती है फिर भी सही जवाब नहीं दिया जाता है.
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जवाब के नाम पर की जाती है खानापूर्ति
रिम्स की लचर व्यवस्था के मामले पर भी झारखंड हाई कोर्ट ने बार-बार जवाब मांगा, लेकिन जब जवाब नहीं दिया गया तो सचिव स्तर के अधिकारी को अदालत में बुलाया गया. अधिकारी भी बिना तैयारी के ही अदालत में हाजिर हो जाते हैं और अदालत की ओर से पूछे गए सवाल पर सही जवाब नहीं दे पाते हैं. इसके कारण अदालत नाराज होता है और उन्हें फिर से समय देना पड़ता है. भवन निर्माण मामले में भी अधिकारी की ओर से कई बार एक ही जवाब पेश करने पर झारखंड हाई कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है और अधिकारियों को फटकार लगाई है कि एक ही जवाब बार-बार क्यों दिया जाता है?
झारखंड हाई कोर्ट का प्रांगण हाई कोर्ट के आदेश का नहीं हो पाता है अनुपालन
स्पष्ट रूप से अदालत से अलग-अलग प्रश्नों पर जवाब मांगा जाता है, लेकिन अधिकारी महज खानापूर्ति करते हैं. इधर, पिछले महीने में ही हाई कोर्ट भवन निर्माण मामले में मुख्य सचिव भवन निर्माण सचिव को हाई कोर्ट में हाजिर होने को कहा गया है. रिम्स के मामले में अधिकारी के जवाब संतोषजनक नहीं आने पर वित्त सचिव और स्वास्थ्य सचिव को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया गया. धनबाद के शिक्षक की नियुक्ति के मामले में हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं होने के कारण शिक्षा सचिव को अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया. 42 दरोगा की नियुक्त करने के हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं करने पर अदालत को आखिरकार गृह सचिव, डीजीपी और अन्य अधिकारी को हाई कोर्ट में तलब करना पड़ा. इस तरह से कई अन्य मामले भी हैं जिसमें की सचिव को अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया गया.
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अधिकारी सही से नहीं करते हैं काम
झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि राज्य सरकार के अधिकारी सही से काम नहीं करते हैं, जिसके कारण राज्य का ना तो विकास हो पाता है और ना ही काम हो पाता है. जब काम नहीं होता है तो लोग न्याय की आस लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हैं. हाई कोर्ट ने मामले में सरकार से जवाब मांगा तो सरकार के आला अधिकारी समय पर जवाब नहीं देते हैं. अगर जवाब देते भी हैं तो आधी अधूरी जवाब रहती है, जिससे कोर्ट नाराज होता है. कोर्ट में सही से जवाब नहीं देने के कारण वरीय अधिकारी को अदालत में बुलाना पड़ता है, जिससे अदालत का कीमती समय बर्बाद होता है. अगर अधिकारी समय से जवाब दें और आदेश का अनुपालन करें तो कोर्ट का कीमती समय भी बचेगा और राज्य सरकार की जो फजीहत हो रही है, वह भी नहीं होगा.
राज्य के विकास का कार्य अधिकारियों पर ही होता है निर्भर
झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता सोनल तिवारी ने बताया कि राज्य के विकास का कार्य अधिकारियों पर ही निर्भर होता है. अधिकारी सही तरीके से काम नहीं करते हैं, जिसके कारण राज्य का विकास सही से नहीं हो पाता है. लोग न्याय की आस में हाई कोर्ट आते हैं. अदालत मामले पर सुनवाई करती है. सरकार से जवाब मांगता है तो वह सही से जवाब नहीं देता. यही नहीं बल्कि अब तो विधानसभा में भी आवाज उठने लगी है. विधायक अपने मुख्यमंत्री के पास गुहार लगाते हैं कि अधिकारी उनका नहीं सुनते हैं. क्षेत्र का विकास नहीं हो पाता है. जनता की शिकायत रहती है, लेकिन आला अधिकारी तो अपने ही धुन में रहते हैं. किसी की नहीं सुनते, वे बेलगाम से हो गए हैं. इसके कारण अक्सर हाई कोर्ट में सरकार की फजीहत होती है.