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दिवंगत जज उत्तम आनंद के परिजनों ने सीएम से की मुलाकात, दो दिन पहले हुई थी संदिग्ध मौत

दिवंगत जज उत्तम आनंद के परिजनों ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की. परिजनों ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किए जाने पर संतोष जताया. दो दिन पहले धनबाद कोर्ट के जज उत्तम आनंद की संदिग्ध मौत हो गई थी.

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धनबाद जज मौत मामला

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Published : Jul 30, 2021, 10:56 PM IST

Updated : Jul 30, 2021, 11:02 PM IST

रांची:दिवंगत न्‍यायाधीश उत्तम आनंद के परिजनों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से प्रोजेक्ट भवन स्थित कार्यालय में मुलाकात की. परिजनों ने मुख्यमंत्री से उत्तम आनंद की मौत के मामले को लेकर राज्य सरकार द्वारा उच्च स्तरीय जांच और एसआईटी गठन किए जाने पर संतोष व्यक्त किया.

मुख्यमंत्री ने परिजनों से कहा कि मामले की जांच को लेकर राज्य सरकार गंभीर है. त्वरित गति से इस घटना का अनुसंधान पूरा कर परिजनों को न्याय मिले, यह राज्य सरकार की प्राथमिकता है. परिजनों ने मुख्यमंत्री से दिवंगत न्यायाधीश उत्तम आनंद की धर्मपत्नी को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने के लिए पहल करने का आग्रह किया है. मौके पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे मौजूद थे.

यह भी पढ़ें:धनबाद जज मौत मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सात दिन के अंदर डीजीपी और मुख्य सचिव सौंपें रिपोर्ट

झारखंड में न्यायिक कार्य से दूर रहे अधिवक्ता

जज उत्तम आनंद की संदिग्ध मौत के विरोध में शुक्रवार को झारखंड के सभी अधिवक्ताओं ने खुद को न्यायिक कार्य से दूर रखा. सभी अदालत परिसर में सन्नाटा रहा. सभी अधिवक्ता सरकार से एक महीने के अंदर एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग कर रहे हैं.

क्या है पूरा मामला?

28 जुलाई को धनबाद में रंजय सिंह हत्याकांड की सुनवाई कर रहे जज उत्तम आनंद की संदिग्ध मौत हो गई थी. जज सुबह मॉर्निंग वॉक कर रहे थे. इसी दौरान एक ऑटो ने पीछे से आकर उन्हें टक्कर मार दी. जिसके बाद वे वहीं पर बेहोश होकर गिर गए. स्थानीय लोगों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. टक्कर के बाद उनके सिर और कान पर गंभीर चोट आई थी.

ऐसे हुई थी जज की मौत.

सुप्रीम कोर्ट ने भी लिया है संज्ञान

जज उत्तम आनंद की संदिग्ध मौत मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है. शुक्रवार को सर्वोच्च अदालत ने झारखंड के डीजीपी और मुख्य सचिव से सात दिनों के अंदर रिपोर्ट पेश करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह अदालत देश में न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा को संबोधित करना चाहती है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया(सीजेआई) एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लिया और कहा कि अदालत के अंदर और बाहर कई न्यायिक अधिकारियों और वकीलों पर कथित हमले के मामले सामने आए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कहा कि झारखंड हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है. बार काउंसिल की तरफ से भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था. बता दें कि हाई कोर्ट ने भी इस मामले में संज्ञान लिया है.

Last Updated : Jul 30, 2021, 11:02 PM IST

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