रांची: झारखंड ऐसा राज्य है, जहां के विश्वविद्यालय शिक्षकों को प्रमोशन समय पर नहीं मिलता है. वर्ष 2008 के बाद जिन शिक्षकों को प्रमोशन मिलना था. उनका प्रमोशन अब तक बाधित है. एकीकृत बिहार के समय जिन विश्वविद्यालय शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी. इस बैच के शिक्षक बिहार में प्रोफेसर बन गए हैं. वहीं झारखंड में इसी बैच के 95 फीसदी शिक्षक अब तक असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर ही कार्य कर रहे हैं. आंकड़े के मुताबिक सिर्फ 5 फीसदी शिक्षक ही एसोसिएट प्रोफेसर बन सके हैं. कई शिक्षक रिटायर हो गए हैं. कुछ शिक्षकों का निधन हो गया. लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं मिला. प्रोफेसर के पद पर तो एक भी शिक्षकों का प्रमोशन हुआ ही नहीं है.
प्रमोशन के इंतजार में अरसे से राज्य के विवि शिक्षक, नहीं बन पा रहे वीसी-प्रोवीसी
राज्य में एक लंबे समय से विश्वविद्यालय शिक्षकों को प्रमोशन नहीं मिला है. इस वजह से यहां के शिक्षक ना तो एसोसिएट प्रोफेसर बन पाते हैं. ना प्राचार्य और ना ही प्रोवीसी नियुक्ति में ही अहर्ता पूरी कर पाते हैं. राज्य के अधिकतर विश्वविद्यालयों में वीसी-प्रोवीसी के पद पर अन्य राज्यों के शिक्षाविद और प्रोफेसर नियुक्त किये जा रहे है और यह शिलशिला लगभग 14 वर्षों से चल रहा है.
रांची यूनिवर्सिटी समेत सातों विश्वविद्यालयों के लगभग दो हजार शिक्षकों का प्रमोशन अधर में लटका हुआ है. इसके लिए सरकार और यूनिवर्सिटी प्रशासन दोनों जिम्मेदार हैं. प्रमोशन नहीं मिलने के कारण शिक्षक मायूस और आक्रोशित हैं. इस राज्य में यूजीसी गाइडलाइन का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है. वर्ष 2008 के बाद यूजीसी की ओर से तीन प्रमोशन रेगुलेशन जारी किए गए हैं. इनमें रेगुलेशन 2010, 2016, 2018 शामिल है. लेकिन यहां वर्ष 2018 का प्रमोशन रेगुलेशन तो दूर वर्ष 2010 का भी प्रमोशन का रेगुलेशन नहीं बना है. हालांकि उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कहा गया है कि प्रमोशन संबंधी नियम बनाने की कवायद तेजी से चल रही है. जल्द ही राज्य के विवि शिक्षकों को प्रमोशन मिलेगी.
प्रमोशन नहीं मिलने का साइड इफेक्ट:शिक्षकों को प्रमोशन नहीं मिलने से कई साइड इफेक्ट दिख रहे हैं. जेपीएससी की ओर से प्रिंसिपल पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किए जाने के बाद भी झारखंड के विवि शिक्षक आवेदन नहीं कर पा रहे हैं. क्योंकि इसमें एसोसिएट प्रोफेसर ही आवेदन कर सकते थे. इसके अलावा कुलपति और प्रति कुलपति पद के लिए प्रोफेसर पद का होना जरूरी है. झारखंड के विश्वविद्यालयों में गिने-चुने प्रोफेसर हैं. इस वजह से वीसी-प्रोवीसी के पद पर दूसरे राज्यों के शिक्षकों का चयन लगातार हो रहा है. इस टर्म में भी झारखंड के 5 विश्वविद्यालयों में राजभवन की ओर से कुलपति और प्रति कुलपति की नियुक्ति की गई है. इनमें एक भी शिक्षाक, शिक्षाविद झारखंड के नहीं हैं. सभी अन्य राज्यों से आकर यहां कुलपति और प्रति कुलपति बन रहे हैं.
नहीं मिल रहा है झारखंड के विवि शिक्षकों को प्रमोशन:लेकिन झारखंड के शिक्षक प्रमोशन की आस में अभी भी बैठे हुए हैं. सिर्फ रांची के जनजातीय भाषा विभाग की बात करें तो इस विभाग में 1987 में 51 शिक्षकों की बहाली की गई थी. लेकिन 35 वर्ष बीत जाने के बावजूद यहां के शिक्षकों को प्रमोशन नहीं मिला है. शिक्षक अभी भी असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर ही काम कर रहे हैं. इनमें कई शिक्षक रिटायर हो गए. कुछ शिक्षकों का निधन हो गया. नागपुरी विषय पढ़ाने वाले डॉ उमेश तिवारी कहते हैं की 51 शिक्षकों में 23 शिक्षक रिटायर हो गए हैं. जिसमें 10 की मौत हो चुकी है अब 28 शिक्षक विश्वविद्यालय और कॉलेजों में पढ़ाने का काम कर रहे हैं. इन शिक्षकों का भी दर्द है कि समय पर उन्हें भी प्रमोशन नहीं मिला है. जिससे वह राज्य में कई लाभ से वंचित हो गए हैं.