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आदिवासी समाज की आमदनी बढ़ाना और उनके उत्पादों को घर-घर पहुंचाना है लक्ष्यः अर्जुन मुंडा - केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा की ओर से संचालित ट्राइफेड

केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्रालय की ओर से संचालित ट्राइफेड की तरफ से नई दिल्ली में एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया. यह वर्कशॉप आदिवासी उत्पाद के प्रमोशन और मार्केटिंग को लेकर आयोजित की गई. इस दौरान अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासियों के उत्पादों की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है.

आदिवासी समाज की आमदनी बढ़ाना और उनके उत्पादों को घर-घर पहुंचाना है लक्ष्यः अर्जुन मुंडा
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Published : Feb 14, 2020, 10:40 PM IST

Updated : Feb 14, 2020, 10:59 PM IST

नई दिल्लीः भारतीय आदिवासी कल्याण मंत्रालय की ओर से संचालित ट्राइफेड के तरफ से शुक्रवार को एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया था. आदिवासी उत्पादों का कैसे अच्छे से प्रमोशन और मार्केटिंग हो इसको लेकर वर्कशॉप का आयोजन किया गया था. जिसमें व्यापार जगत से लेकर फैशन डिजाइनिंग जगत के लोग भी मौजूद थे.

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आदिवासी उत्पादों को घर-घर पहुंचाना लक्ष्य

वर्कशॉप में केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा, केंद्रीय आदिवासी कल्याण राज्य मंत्री रेणुका सिंह, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और रेल मंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद थे. व्यापार जगत के लोगों से कहा गया कि आदिवासियों की ओर से बनाए गए उत्पादों को अच्छा मार्केट उपलब्ध कराइए ताकि आदिवासियों की आमदनी बढ़ सके. फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र के लोगों से कहा गया कि आदिवासी कलाकारों को मदद करें ताकि वह अपने उत्पादों को बनाते वक्त उसमें और क्रिएटिविटी ला सकें. इस मौके पर अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासी उत्पादों को घर-घर पहुंचाना हम लोगों का लक्ष्य है जिससे आदिवासी समाज को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके, आदिवासी समुदायों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए हस्तशिल्प समेत कई रचनात्मक उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराना होगा और ऐसा हो भी रहा है.

देखें अर्जुन मुंडा से बातचीत

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अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासियों के उत्पादों की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है, डिमांड और ज्यादा बढ़े हमारी यही कोशिश है. पीयूष गोयल ने जनजातीय उत्पादों के लिए घरेलू और वैश्विक बाजार के विस्तार में सभी हितधारकों के सहयोग और सुझाव की मांग की, उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मेक इन इंडिया उत्पादों और ट्राइब्स इंडिया, हैंडलूम और खादी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है.

ट्राइफेड के पूरे देश भर में 120 आउटलेट

बता दें ट्राइफेड की स्थापना 1987 में हुई थी. इसका अद्येश्य आदिवासी लोगों की ओर से जंगल से एकत्र किए गए या इनकी ओर से बनाए गए उत्पादों को बाजार में सही दामों पर बिकवाने की व्यवस्था करना है. इसका राष्ट्रीय कार्यालय दिल्ली में है, पूरे देश भर में इसके 13 क्षेत्रीय कार्यालय हैं. ट्राइफेड जनजातियों को व्यवसायिक मध्यस्थों के शोषण से भी बचाता है क्योंकि यह बिचौलिए आदिवासियों से सस्ते दामों पर उत्पाद खरीद कर बाजार में ऊंचे दामों पर बेचकर अच्छा मुनाफा कमाते हैं. यह आदिवासियों के उत्पादों के प्राथमिक प्रसंस्करण, भंडारण और परिवहन के लिए उचित साधनों की व्यवस्था भी करता है. पिछले 3 साल में ट्राइफेड के पूरे देश भर में 120 आउटलेट खुल चुके हैं जिसमें से 72 खुद ट्राइफेड की ओर से ऑपरेट किए जाते हैं.

Last Updated : Feb 14, 2020, 10:59 PM IST

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