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राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है झारखंड में बेरोजगारी दर, अर्थशास्त्री बोले- स्किल डेवलपमेंट, नॉन फार्मिंग और एमएसएमई पर करना होगा फोकस - झारखंड न्यूज

झारखंड का बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से बहुत ज्यादा है. जून महीने में झारखंड की बेरोजगारी दर 12.2 प्रतिशत दर्ज हुई है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 7.80 प्रतिशत रही.

Unemployment rate in Jharkhand
Unemployment rate in Jharkhand

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Published : Jul 11, 2022, 8:15 PM IST

Updated : Jul 12, 2022, 9:08 AM IST

रांची: सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट के मुताबिक जून माह में राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 7.80 प्रतिशत रिकॉर्ड हुई है. इसमें शहरी बेरोजगारी दर 7.30 प्रतिशत जबकि ग्रामीण बेरोजगारी दर 8.03 प्रतिशत है. जुलाई 2021 से जून 2022 के बीच सिर्फ फरवरी 2022 में ग्रामीण बेरोजगारी दर 8.37 प्रतिशत के साथ रिकॉर्ड स्तर पर थी. इससे साफ है कि देश की ग्रामीण आबादी बेरोजगारी से जूझ रही है.

इस मामले में झारखंड की स्थिति भी अच्छी नहीं है. जून माह में झारखंड का बेरोजगारी दर 12.2 प्रतिशत दर्ज हुई है, जो राष्ट्रीय औसत से बहुत ज्यादा है. बेरोजगारी दर का मतलब यह है कि काम करने को तैयार 1000 कामगार में से 122 को झारखंड में काम नहीं मिल रहा है. लेकिन देश में छह ऐसे राज्य हैं जहां जून 2022 में बेरोजगारी दर झारखंड से ज्यादा रिकॉर्ड हुई है. सबसे ज्यादा हरियाणा में 30.6 प्रतिशत, राजस्थान में 29.8 प्रतिशत, असम में 17.2 प्रतिशत, जम्मू कश्मीर में भी 17.2 प्रतिशत, बिहार में 14 प्रतिशत और सिक्किम में 12.7 प्रतिशत बेरोजगारी दर है. झारखंड के लिहाज एक अच्छी बात यह है कि इसी साल मई माह में बेरोजगारी दर 13.1 प्रतिशत थी, जिसमें जून माह में मामूली कमी आई है.

राष्ट्रीय स्तर पर पिछले एक माह के बेरोजगारी दर के औसत के मामले में सबसे अच्छी स्थिति मध्य प्रदेश की है. पांच प्रतिशत से कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में 0.5 प्रतिशत के साथ मध्य प्रदेश टॉप पर है. पुडुचेरी 0.8 प्रतिशत के साथ दूसरे नंबर पर है. इसके बाद ओड़िशा में 1.2 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में भी 1.2 प्रतिशत, तमिलनाडु में 2.1 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 2.8 प्रतिशत, गुजरात में 3 प्रतिशत और कर्नाटक में 3.7 प्रतिशत है.

झारखंड के अर्थशास्त्री प्रो शिशिर चौधरी ने इसे पोस्ट कोविड का नतीजा बताया. उन्होंने कहा कि कोविड के दौरान दो वर्षों तक पूरा सिस्टम लोगों की जान बचाने में लगा रहा. जब हालात सामान्य हुए तबतक बहुत कुछ ठप हो चुका था. छोटे-छोटे यूनिट बंद हो गये. ऐसे समय में केंद्र की तरफ से पैकेज की घोषणा हुई लेकिन कहीं न कहीं उसके इंप्लीमेंटशन में कुछ कमियां रह गई. झारखंड में एमएसएमई पर उस तरीके से काम नहीं हुआ, जो होना चाहिए था.

प्रो शिशिर चौधरी ने कहा कि कई माह से बालू की किल्लत ने इंफ्रास्ट्रचर सेक्टर को प्रभावित किया. रियल स्टेल के काम कुंद पड़ने से अकुशल मजदूरों की रोजी रोटी छीन गई. उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो स्कील डेवलपमेंट पर फोसक करना पड़ेगा. क्योंकि झारखंड में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या ज्यादा है. इसके अलावा ग्रामीण स्तर पर नॉन फार्मिंग सेक्टर पर फोकस करना होगा. उत्पाद के हिसाब से बाजार मुहैया कराना होगा. प्रो शिशिर चौधरी ने कहा कि कोविड के काल में मनरेगा की योजनाओं ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संभालने में अहम भूमिका निभाई है. अगर मनरेगा की योजनाओं को ट्रांसपरेंट तरीके धरातल पर उतारा जाएगा तो न सिर्फ रोजगार सृजन होगा बल्कि जल संचयन, बागवानी और जानवरों के शेड तैयार होने से आमदनी का रास्ता खुलेगा.

Last Updated : Jul 12, 2022, 9:08 AM IST

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